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प्राचीन इतिहास तथा संस्कृति के प्रमुख स्थल महाबलीपुरम्(मामल्लपुरम्)

तमिलनाडु में मद्रास से 40 मील की दूरी पर समुद्रतट पर महाबलीपुरम नामक नगर स्थित है। सुदूर दक्षिण में शासन करने वाले पल्लव राजाओं के काल में यहाँ प्रसिद्ध समुन्द्री बन्दरगाह तथा कला का केन्द्र था। यहाँ मडण्प तथा एकाश्मक मन्दिरों जिन्हें ‘रथ’ कहा गया है, का निर्माण हुआ। ये पल्लव वास्तुकला एवं स्थापत्य के चरमोत्कर्ष के सूचक है। मुख्य पर्वत पर 10 मण्डप बने हैं जिनमें आदिवाराह, महिषमर्दिनी, पञ्चपाण्डव, रामानुज आदि मण्डप प्रसिद्ध है। इन मण्डपों में दुर्गा, विष्णु, बह्म, गजलक्ष्मी, हरिहर आदि की कलात्मक प्रतिमाएँ उत्कीर्ण मिलती है।

रामानुज कौन थे

महाबलीपुरम के रथ कठोर चट्टानों को काटकर बनाये गये है तथा मूर्ति कला के सुन्दर उदाहरण प्रस्तुत करते है। इन्हें ‘सप्तपगोडा’ कहा जाता है। महाभारत के दृश्यों का प्रतिनिधित्व करते है। इन पर दुर्गा, इन्द्र, शिव-पार्वती, हरिहर, ब्रह्म, स्कन्द, गंगा आदि की मूर्तियाँ उत्कीर्ण है। एक रथ पर पल्लव शासक नरसिंह वर्मा की भी मूर्ति खुदी है।

पल्लव शासकों का इतिहास

महाबलीपुरम् समुन्द्र पार कर जाने वाले यात्रियों के लिए मुख्य बन्दरगाह भी था। समुन्द्र यात्राओं की सुरक्षा के निमित्त यहाँ पहाड़ी पर दीपस्तम्भ बनवाया गया था।

References :
1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव 

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