इतिहासअमेरिका की क्रांतिविश्व का इतिहास

पेरिस की संधि कब हुई थी

लार्ड कार्नवालिस का आत्म समर्पण इंग्लैण्ड के लिये भारी आघात था। ब्रिटिश संसद में युद्ध को समाप्त करने की माँग उठने लगी। युद्ध बंद हो गया, परंतु परस्पर विरोधी हितों के कारण शांति-समझौते के मार्ग में बाधाएँ आ खङी हुई। इंग्लैण्ड और अमेरिका शांति वार्ता के लिये उत्सुक थे, परंतु फ्रांस और स्पेन अभी शांति वार्ता के विरुद्ध थे। वस्तुतः ये दोनों देश इंग्लैण्ड से कुछ और भूमि हथियाना चाहते थे। दोनों ने मिलकर अंग्रेजों के जिब्राल्टर द्वीप को जीतने का अथक प्रयास किया, परंतु असफल रहे।

1782 ई. तक अमेरिकी प्रतीक्षा करते रहे। परंतु अब उन्हें स्पष्ट हो गया कि फ्रांस को उनके हितों की तुलना में स्पेन के हितों की अधिक चिन्ता है। वस्तुतः फ्रांस चाहता था, कि पश्चिमी क्षेत्र स्पेन को दे दिया जाये। न तो इंग्लैण्ड और न ही अमेरिका यह चाहता था, कि अमेरिका में फिर कोई नया फ्रांसीसी अथवा स्पेनिश साम्राज्य स्थापित हो, अतः इंग्लैण्ड और अमेरिका में गुप्त बात चीत शुरू हो गयी। इस नए गठजोङ से फ्रांस घबरा गया और अप्रैल, 1782 ई. में उसने शांति वार्ता की स्वीकृति प्रदान कर दी। शांति वार्ता लंबे समय तक चलती रही , और अंत में 3 दिसंबर1783 ई. को पेरिस की संधि पर हस्ताक्षर हुए।

पेरिस की संधि के अनुसार इंग्लैण्ड ने अपने भूतपूर्व तेरह अमेरिकी उपनिवेशों की स्वाधीनता को मान लिया। उपनिवेशों की स्वतंत्रता और संप्रभुता स्वीकार कर ली गयी। नए संयुक्त राज्य की सीमा भी निर्धारित कर दी गयी। उसे पूर्व में एटलांटिक महासागर के तट से पश्चिम में मिसिसिपी नदी तक और उत्तर में कनाडा से दक्षिण में पूर्वी और पश्चिमी फ्लोरिडा तक का चिर अभिलषित क्षेत्र दिया गया। संयुक्त राज्य की ये सीमाएँ आज भी उसी रूप में मान्य हैं। अमेरिकी मछुआरों को न्यूफाउण्डलैण्ड के तट और लारेन्स की खाङी में मछली पकङने की पूर्ववत छूट बनी रही। इसके बदले में अमेरिकी कांग्रेस ने ब्रिटेन की एक बङी चिन्ता दूर करने का आश्वासन दिया। यह चिन्ता थी अमेरिका में रहने वाले हजारों राजभक्तों की, जिन्होंने इस संघर्ष में इंग्लैण्ड का साथ दिया था। युद्ध के दिनों में इन लोगों को बहुत सी कठिनाइयाँ सहन करनी पङी। उनके खेत छिन गये, धन दौलत और घर बार से हाथ धोना पङा। लोग उन्हें टूरीज कहकर अपमानित करते थे। ब्रिटिश सरकार चाहती थी, कि उन लोगों को उनके खेत और धन संपत्ति वापस कर दी जाये। कांग्रेस ने सभी राज्यों से टूरीज के अधिकारों की सुरक्षा और उनकी संपत्ति की वापसी की सिफारिश करने का आश्वासन दिया, परंतु इसका उन लोगों को कम ही लाभ पहुँचा जो अपना घर बार या धन दौलत गँवा चुके थे।

पेरिस की संधि सम्पन्न होने पर इंग्लैंड के प्रधानमंत्री लार्ड नार्थ ने त्यागपत्र  दे दिया था।

पेरिस की संधि द्वारा फ्रांस को विशेष लाभ नहीं मिल पाया। उसे केवल पश्चिमी द्वीप समूह में टोबेगो तथा अफ्रीका में सेनेगल के प्रदेश मिले। सेंट लारेन्स की खाङी और न्यूफाउण्डलैण्ड के निकट मछली पकङने के अधिकार भी मिल गये। स्पेन को भूमध्यसागर में मिनोको द्वीप प्राप्त हुआ और अमेरिका में फ्लोरिडा का महत्त्वपूर्ण क्षेत्र भी मिल गया। हालैण्ड को विशेष लाभ नहीं मिला। उलटे उसे दक्षिण – पूर्वी भारतीय समुद्र तट पर स्थित नेगापट्टम का बंदरगाह इंग्लैण्ड को लौटाना पङा। बदले में हालैण्ड को कुछ व्यापारिक सुविधाएं प्रदान की गयी। इस प्रकार पेरिस (वर्साय) की संधि के साथ अमेरिका के स्वतंत्रता संघर्ष का अंत हुआ।

1. पुस्तक- आधुनिक विश्व का इतिहास (1500-1945ई.), लेखक - कालूराम शर्मा

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