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प्राचीन इतिहास तथा संस्कृति के प्रमुख स्थल प्राग्ज्योतिषपुर

असम के गौहाटी के समीप स्थित इस स्थान में प्राचीन काल के कामरूप राज्य की राजधानी थी। पौराणिक मान्यता के अनुसार यहाँ प्राचीन काल से ब्रह्म ने उपस्थित होकर नक्षत्रों की रचना की थी, अतः इस स्थान का नाम प्राग्ज्योतिषपुर पड़ गया। महाभारत में यहाँ के शासक नरकासुर का श्रीकृष्ण द्वारा वध किया जाने का विवरण है।

कालिदास ने रघुवंश में प्राग्ज्योतिष के शासक के ऊपर रघु की विजय का उल्लेख किया है। यह नगर लौहित्य(ब्रह्मसूत्र) नदी के पार पूर्वीतट पर बसा हुआ था।

समुन्द्रगुप्त के प्रयाग लेख में कामरूप का उल्लेख मिलता है। गुप्तों के बाद यहाँ वर्मन् वंश का शासन था जिसका प्रसिद्ध शासक भास्करवर्मन् हर्ष का मित्र एवं सहायक था।

हेमचन्द्रकृत ‘अभिधानचिन्तामणि’ में प्राग्ज्योतिष को कामरूप का द्वितीय नाम बताया गया है। वाराहमिहिर ने इसकी गणना पूर्वी देशों के अन्तर्गत की है। कालिकापुराण में इसका दूसरा नाम कामाख्या मिलता है। यहाँ आज भी देवी का सुप्रसिद्ध मन्दिर है।

References :
1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव
2. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास, लेखक-  वी.डी.महाजन 

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