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13 फरवरी : राष्ट्रीय महिला दिवस (सरोजिनी नायडू की जयंती)

राष्ट्रीय महिला दिवस(National Women’s Day) 13 फरवरी को मनाया जाता है। दरअसल, इसी दिन भारत की पहली महिला राज्यपाल रहीं सरोजिनी नायडू का जन्म हुआ था, जिसके उपलक्ष में 13 फरवरी को राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है।

भारत में महिलाओं के विकास के लिए सरोजनी नायडू द्वारा किए गए कार्यों को मान्यता देने और इस बात का सम्मान देने के लिए उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया। इस निर्णय को भारतीय महिला संघ और अखिल भारतीय महिला सम्मेलन के सदस्यों द्वारा प्रस्तावित किया गया।

सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में हुआ और उनके पिता अघोरनाथ चट्टोपाध्याय प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे। महज 14 साल की उम्र में ही सरोजिनी ने सभी अंग्रेजी कवियों की रचनाओं का पढ़ लिया था। 1895 में हैदराबाद के निजाम ने उन्हें वजीफे पर इंग्लैंड भेज दिया। नायडू ने 1898 में डॉ. गोविन्द राजालु नायडू से विवाद कर लिया।

‘भारत कोकिला’ के नाम से प्रसिद्ध श्रीमती सरोजिनी नायडू की महात्मा गांधी से प्रथम मुलाकात 1914 में हुई। दोनों की ये मुलाकात लंदन में हुई और गांधी जी के व्यक्तित्व ने उन्हें खासा प्रभावित किया। इसके बाद वे दक्षिण अफ्रीका में गांधीजी की सहयोगी के रूप में रहीं। सरोजनी नायडू गोपालकृष्ण गोखले को अपना ‘राजनीतिक पिता’ का दर्जा देती थी। उनके हंसमुख स्वभाव के कारण उन्हें ‘गांधी जी के लघु दरबार में विदूषक’ भी कहा जाने लगा था।

नायडू ने महिलाओं के लिए काफी कुछ किया। उन्होंने भारतीय समाज में फैली कुरीतियों के लिए भारतीय महिलाओं को जगाया और फिर भारत की स्वतंत्रता के लिए विभिन्न आंदोलनों में पूर्ण रूप से सहयोगिनी बनी रही। लंबे समय तक वे कांग्रेस की प्रवक्ता के पद पर भी आसीन रहीं। 1925 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कानपुर अधिवेशन की प्रथम भारतीय महिला अध्यक्ष बनने का गौरव प्राप्त किया।

जलियांवाला बाग हत्याकांड से सरोजिनी नायडू इतनी आहत हुईं कि उन्होंने 1908 में मिला ‘कैसर-ए-हिन्द‘ सम्मान लौटा दिया। उसके बाद इनको भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के कारण आगा खां महल में सजा दी गई। उन्होंने उत्तरप्रदेश की पहली महिला राज्यपाल के बनने का गौरव प्राप्त किया।

उन्होंने भारतीय महिलाओं के बारे में एक बड़ी ही अच्छी बात कही थी। उन्होंन कहा था कि “जब आपको अपना झंडा संभालने के लिए किसी की आवश्यकता हो और जब आप आस्था के अभाव से पीड़ित हों तब भारत की नारी आपका झंडा संभालने और आपकी शक्ति को थामने के लिए आपके साथ होगी और यदि आपको मरना पड़े तो यह याद रखिएगा कि भारत के नारीत्व में चित्तौड़ की पद्मिनी की आस्था समाहित है।”

सरोजिनी नायडू एक कुशल राजनेता तो रही ही इसके अलावा वो एक बेहतरीन लेखिका भी रही थीं। उन्होंने मात्र 13 साल की उम्र में 1300 पंक्तियों की कविता ‘द लेडी ऑफ लेक’ लिखी थी। फारसी भाषा में एक नाटक ‘मेहर मुनीर’ लिखा। ‘द बर्ड ऑफ टाइम’, ‘द ब्रोकन विंग’, ‘नीलांबुज’, ट्रेवलर्स सांग’, उनकी प्रकाशित पुस्तकें हैं। सरोजिनी नायडू ने साल 1949 में 2 मार्च को इस दुनिया को अलविदा कर दिया और अपने पीछे महिलाओं के जीवन के लिए कई प्रेरणा छोड़ गयी। https://m.dailyhunt.in/news/

विदित हो कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) प्रति वर्ष 8 मार्च को मनाया जाता है।

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