सातवाहन शासक वासिष्ठीपुत्र पुलुमावी का इतिहास
वासिष्ठीपुत्र पुलुमावी (130-154ई.) गौतमीपुत्र शातकर्णी का पुत्र था। पुराणों में इसे पुलोमा कहा गया है। यूनानी इतिहासकार टॉलेमी ने ज्योग्रॉफी में सिरो-पेरिमेओस कहा है, इसके साथ ही टॉलेमी ने पुलुमावी को ओजेने(उज्जैन) का शासक भी माना है। पुलुमावी कार्दमक (शक) वंशी दो शासकों – चष्टन तथा रुद्रदामन का समकालीन था।
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सातवाहन कौन थे? गौतमीपुत्र शातकर्णी।
वासिष्ठीपुत्र पुलुमावी की उपलब्धियों का वर्णन कान्हेरी अभिलेख (महाराष्ट्र )से मिलता है, जिसमें वह दावा करता है, कि शक शासक रुद्रदामन को पराजित कर उसकी पुत्री से विवाह किया। वासिष्ठीपुत्र पुलुमावी के समय अमरावती स्तूप का निर्माण हुआ। अमरावती से प्राप्त अभिलेख में एकमात्र सातवाहन शासक के रूप में वासिष्ठीपुत्र पुलुमावी का उल्लेख मिलता है।
महाक्षत्रप रुद्रदामन अपने गिरनार लेख में दक्षिणापथ के स्वामी शातकर्णी को दो बार पराजित करने का दावा करता है। यह राजा पुलुमावी ही था।पुलुमावी अकेला ही एक शासक है, जिसका अमरावती से प्राप्त एक लेख में हुआ है। पुलुमावी को दक्षिणापथेश्वर कहा गया है।
इतिहासकारों का मानना है कि इसी शासक के समय में सातवाहनों ने आंध्र क्षेत्र को जीता था, अतः इसे आंध्र क्षेत्र का प्रथम सातवाहन शासक कहते हैं। इससे पहले किसी सातवाहनों ने इस क्षेत्र को नहीं जीता था। कुछ सिक्कों पर दो पतवारों वाली नाव का चित्र मिलता है।यह चित्र सातवानों की नौ-शक्ति के पर्याप्त विकसित होने का प्रमाण है।
Reference : https://www.indiaolddays.com/