प्राचीन भारतइतिहासवाकाटक वंश

वाकाटक शासक नरेन्द्रसेन का इतिहास

वाकाटक शासक प्रवरसेन द्वितीय का पुत्र तथा उत्तराधिकारी नरेन्द्रसेन (440-460 ईस्वी) हुआ। उसके समय में बस्तर के नलवंशी शासक भवदत्तवर्मन ने वाकाटक राज्य पर आक्रमण किया। नरेन्द्रसेन पराजित हुआ तथा भवदत्तवर्मन ने नंदिवर्धन पर अपना अधिकार कर लिया।

इससे वाकाटकों की शक्ति एवं प्रतिष्ठा को गहरा धक्का लगा। परंतु भवदत्तवर्मन की मृत्यु के बाद नरेन्द्रसेन ने पुनः अपनी स्थिति सुदृढ कर ली तथा उसने न केवल नंदिवर्धन पर अधिकार स्थापित किया अपितु बस्तर राज्य पर भी आक्रमण कर भवदत्तवर्मन के उत्तराधिकारी को पराजित किया।

ऐसा लगता है, कि उसके इस कार्य में कदंब नरेश ने भी सहायता प्रदान की थी। इस प्रकार नरेन्द्रसेन ने नलों की शक्ति का विनाश किया। उसके इस कार्य से वाकाटकों की प्रतिष्ठा बढ गयी। वाकाटक लेखों में नरेन्द्रसेन को कोशल, मेकल तथा मालवा का अधिपति कहा गया है।

इन प्रदेशों को उसने अपने प्रभाव क्षेत्र के अंतर्गत कर लिया था। परंतु मालवा पर उसका अधिकार अल्पकालिक रहा और स्कंदगुप्त ने पुनः उसे जीत लिया।

स्कंदगुप्त का साम्राज्य विस्तार।

इस प्रकार नरेन्द्रसेन एक योग्य तथा कुशल प्रशासक था। उसने वाकाटक वंश की प्रतिष्ठा का पुनरुद्धार किया तथा नल राज्य के कुछ प्रदेशों को जीतकर वाकाटक साम्राज्य का विस्तार भी किया। बासीम शाखा के साथ उसके संबंध सौहार्दपूर्ण रहे।

Reference : https://www.indiaolddays.com

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