कलिंग के चेदि राजवंश का इतिहास
मौर्य सम्राट अशोक ने भीषण युद्ध के बाद कलिंग को जीतकर अपने साम्राज्य में सम्मिलित कर लिया था। ऐसा प्रतीत होता है, कि अशोक के निर्बल उत्तराधिकारी कलिंग पर अपना अधिकार नहीं रख सके तथा उसकी मृत्यु के बाद कलिंग का राज्य पुनः स्वतंत्र हो गया। प्रथम शता.ईसा.पूर्व में कलिंग भारत का एक अत्यंत शक्तिशाली राज्य बन गया। इस समय हम यहाँ चेदि वंश के महामेघवाहन कुल को शासन करता हुआ पाते हैं।
मौर्य सम्राट अशोक का प्रारंभिक जीवन।
चेदि ( chedi )भारत की एक अत्यंत प्राचीन जाति थी। 6 शता. ईसा.पूर्व में चेदि महाजनपद विद्यमान था, जिसमें संभवतः आधुनिक बुंदेलखंड तथा उसके समीपवर्ती प्रदेश शामिल थे। चेतिय जातक में इसकी राजधानी सोत्थिवती बताई गयी है। महाभारत में इसी को शुक्तिमती (शक्तिमती) कहा गया है। लगता है, कि इसी चेदि वंश की एक शाखा कलिंग गयी तथा उसने वहाँ एक स्वतंत्र राजवंश की स्थापना की।
खारवेल का इतिहास( khaaravel ka itihaas)-
कलिंग के चेदि राजवंश का संस्थापक महामेघवाहन नामक व्यक्ति था।अतः इस वंश का नाम महामेघवाहन वंश भी पङ गया। इस वंश का सर्वाधिक शक्तिशाली राजा खारवेल था। खारवेल प्राचीन भारतीय इतिहास के महानतम सम्राटों में से एक है। उङीसा राज्य के भुवनेश्वर (पूरी जिले) से तीन मील की दूरी पर स्थित उदयगिरि पहाङी की हाथीगुंफा से उसका एक बिना तिथि का अभिलेख प्राप्त हुआ है। इसमें खारवेल के बचपन, शिक्षा, राज्याभिषेक तथा राजा होने के बाद से 13 वर्ष तक शासन काल की घटनाओं का क्रमबद्ध विवरण दिया हुआ है। हाथीगुंफा अभिलेख खारवेल के राज्यकाल का इतिहास जानने का एकमात्र स्रोत है।
Reference : https://www.indiaolddays.com/