सम सामयिकीजनवरीदिवस

11 जनवरी : लाल बहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि

लालबहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 में मुगलसराय (वाराणसी) में हुआ था। लाल बहादुर शास्री 9 जून 1964 से 11 जनवरी1966 तक अर्थात् अपनी मृत्यु तक लगभग अठारह महीने भारत के प्रधानमन्त्री रहे। इस प्रमुख पद पर उनका कार्यकाल अद्वितीय रहा।शास्त्री जी ने काशी विद्यापीठ से शास्त्री की उपाधि प्राप्त की। 11जनवरी का दिन संपूर्ण भारत में लालबहादुर शास्री की पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है।

लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु

Related image

ताशकंद समझौते से लौटते समय 11 जनवरी, 1966 को भारतीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की रास्ते में ही मृत्यु हो गयी।

दावा किया जाता है, कि शास्त्री जी की मृत्यु दिल का दौरा पङने से हुई, लेकिन उनके डॉक्टर ने कहा था कि लाल बहादुर शास्त्री को कोई बीमारी नहीं रही थी।

लाल बहादुर शास्त्री के साथ उनके सूचना अधिकारी रहे प्रसिद्ध पत्रकार कुलदीप नैयर भी थे। उन्होंने पूरी घटना के बारे में विस्तार से लिखा है।

उन्होंने लिखा है, रात में मैं सो रहा था अचानक दरवाजा खटखटाने की आवाज पर जाग गया। दरवाजा एक रूसी महिला खटखटा रही थी। उन्होंने मुझे बताया, आपके प्रधानमंत्री की हालत गंभीर है।मैंने तुरंत कपङे बदले और एक भारतीय अधिकारी के साथ शास्त्री जी के कमरे में गया जो मेरे कमरे से कुछ दूरी पर था। वहां मैंने बिस्तर पर उन्हें मृत पाया।

शास्त्रीजी की मृत्यु की घटना ऐसी थी, जिस पर किसी को विश्वास नहीं हो रहा था। कुलदीप नैयर ने अपनी जीवनी बियॉन्ड द लाइन्स में लिखा है कि जब उन्होंने भारत में इसकी सूचना दी तो किसी को यकीन नहीं हो रहा था।

उन्होंने यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया के पास फोन करके पहले सूचना दी थी। उन्होंने किताब में लिखा है, उस दिन नाइट ड्यूटी में सुरिंदर धिंगरा थे। शास्त्रीजी नहीं रहे मैंने उनको यह फ्लैश चलाने को कहा।

धिंगरा हँसने लगे और मुझसे कहा कि आप मजाक कर रहे हैं। धिंगरा ने मुझे कहा कि शाम के ही समारोह में तो हमने शास्त्रीजी की स्पीच कवर की है।

शास्त्रीजी के व्यक्तित्व से अपने तो अपने गैर भी बहुत प्रभावित थे। कुलदीप नैयर लिखते हैं कि शास्त्रीजी के निधन की बात सुनकर पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल अय्यूब खान को भी दुख हुआ। उन्होंने लिखा है कि जनरल अय्यूब खान…..शास्त्रीजी के कमरे में सुबह 4 बजे आये थे और मेरी तरफ देखकर कहा यहां एक शांति पुरुष पङा हुआ है, जिसने भारत और पाकिस्तान के बीच दोस्ती के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी।

लाल बहीदुर शास्त्री की पत्नी ललिता देवी ने कहा था, कि मौत के बाद उनका शरीर नीला था और कहीं-2 कटने के निशान भी थे।

ऐसा कहा गया कि लाल बहादुर शास्त्री का पोस्टम मॉर्टम नहीं किया गया था, लेकिन शव के नीला होने की वजह से यह आशंका जताई गई की उनका पोस्ट मॉर्टम हुआ था।

लाल बहादुर शास्त्री के बेटे अनिल शास्त्री ने कहा था, कि उनके पिता को ताशकंद शहर से 20 किलोमीटर दूर एक होटल में रखा गया। उनके कमरे में न तो फोन था, न हीं कोई बेल, न कोई शख्स मदद के लिए। उन्होंने कहा कि शास्त्रीजी हमेशा अपने साथ एक डायरी रखते थे, लेकिन ताशकंद से उनकी डायरी वापस नहीं आई। जिस वजह से उनकी मौत को लेकर संदेह होता है। अनिल शास्त्री के मुताबिक पिता के शरीर प नीले निशान साफ बताते थे, कि उनकी मौत अप्राकृतिक थी।

गृह मंत्रालय ने लाल बहादुर शास्त्री की आकस्मिक मौत का मामला दिल्ली पुलिस को और नैशनल आर्काइव्स को सौंपा था। शास्त्री जी के बेटे ने इस कदम को बेतुका करार दिया था।

उन्होंने कहा था किस कैसे पीएम रहते हुए किसी की मौत के मामले की जांच जिला स्तर की पुलिस को सौंपी जा सकती है। बल्कि जांच उच्च अधिकारियों को करनी चाहिए थी।

जय जवान जय किसान का नारा

जय जवान जय किसान भारत का एक प्रसिद्ध नारा है। यह नारा सबसे पहले 1965 के भारत पाक युद्ध के दौरान भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री ने दिया था। इसे भारत का राष्ट्रीय नारा भी कहते हैं जो जवान एवं किसान के श्रम को दर्शाता है।

जय जवान जय किसान का नारा देने वाले शास्त्री जी ने अपने कार्यकाल के दौरान देश को कई संकटों से उबारा। साफ-सुथरी छवि के कारण उनका बहुत सम्मान किया जाता था।

ताशकंद समझौता क्या था  

ताशकंद रसिया( सोवियत रूस ) की एक जगह है। सोवियत प्रधान मंत्री कोसीजिन के प्रयास से दोनों देशों(भारत एवं पाकिस्तान) के बीच उजबेकिस्तान ( पूर्व सोवियत संघ ) की राजधानी ताशकंद में एक समझौता हुआ। इस समझौते में भारत व पाकिस्तान के बीच वो बातें हुई, जो शिमला समझौते(1972ई.) के बाद रखी गयी थी। वहीं बातें बार-2 रखी गयी।तथा समझौतों का उल्लंघन भी बार-2 होता रहा है।…अधिक जानकारी

Reference : https://www.indiaolddays.com

Related Articles

error: Content is protected !!