पुष्यमित्र शुंग का अश्वमेघ यज्ञ
पुष्यमित्र शुंग अपनी उपलब्धियों के फलस्वरूप उत्तरी भारत का एकछत्र सम्राट बन गया था। अपनी प्रभुसत्ता घोषित करने के लिये उसने अश्वमेघ यज्ञ किया था।
पुष्यमित्र शुंग की उपलब्धियाँ।
पतंजलि ने महाभाष्य में बताया है कि- इह पुष्यमित्रं याजयामः अर्थात् यहाँ हम पुष्यमित्र के लिये यज्ञ करते हैं। अयोध्या अभिलेख में पुष्यमित्र को दो अश्वमेघ यज्ञों का अनुष्ठान करने वाला (द्विरश्वमेधयाजिनः) कहा गया है।
विविध प्रकार के यज्ञों का वर्णन।
इससे हम अनुमान लगा सकते हैं, कि जब पुष्यमित्र ने अपनी राजधानी पाटलिपुत्र में अपनी स्थिति सुदृढ कर ली थी, तो उसने प्रथम यज्ञ किया होगा। तथा दूसरा यज्ञ उसके शासन के अंत में किया गया होगा।
हरिवंश पुराण में कहा गया है, कि कलियुग में एक औद्भिज्ज (नवोदित) काश्यप गौत्रीय द्विज सेनानी अश्वमेघ यज्ञ का पुनरुद्धार करेगा।
Reference : https://www.indiaolddays.com/