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रोम की सभ्यता का इतिहास

इटली वर्तमान यूरोप का दक्षिणी देश है। इटली की राजधानी रोम है।1000 ई.पू. के आसपास या उससे पहले फ्रांस,स्पेन और ट्यूनिसिया(कार्थेज) से लोग आकर रोम में रहने लगे थे।600 ई.पू. में ग्रीस यूनान की सभ्यता थी, जिसका पतन 600 ई.पू. में हो गया था तथा रोम की सभ्यता का उत्थान हुआ था।

रोमन साम्राज्य यूरोप के रोम नगर में केन्द्रित एक साम्राज्य था।एट्रस्कन जाति के लोगों के प्रयास से लगभग छठी शताब्दी ई.पू. में रोमन सभ्यता का विकास हुआ। रोम नगर का उदय टाइबर नदी के दक्षिण में लौटियम जिले में लगभग 753 ई. पू. में हुआ।

रोम की सभ्यता से संबंधित महत्त्वपूर्ण शब्द

एट्रस्कन – अनार्य जाति थी, जो एट्रस्कन प्रदेश में रहने के कारण एट्रस्कन कहलाई।

इटली – वहां जा कर रहो।

पेट्रिशियन – उच्च वर्ग

प्लेबियन – सामान्य वर्ग

कमीशिया ट्रि्ब्युटा – प्लेूबियनो की एक लोक सभा

कमीशिया सेंचुरियेटा – साधारण जनसभा

कार्थेज – वर्तमान ट्युनीशिया

वेस्ता – चूल्हे की देवी

ग्लेडिएटर – तलवारबाज

कोलोसिअयम – थिएटर या नाट्यशाला

अगस्टस – सौभाग्यशाली

पैंथियम / पार्थियोन – अगस्टस कालीन मंदिर

पोलिबियस – रोम का प्रथम इतिहासकार

टैसिटस – रोम का प्रसिद्ध इतिहासकार (एनल्स व हिस्ट्रिज)

एम्फोरा – शराब व जैतून तैल के कंटेनर

प्राचीन रोमनों की भाषा लैटिन का नाम लैटियम के नाम पर ही पङा है।

प्राचीन रोम के समाज में दो वर्ग थे – पैट्रिशियन एवं प्लेबियन।

कार्थेज(ट्यूनेशिया) से युद्ध (प्युनिक युद्ध)

ये युद्ध 264 ई.पू. से 146 ई.पू. में —- रोम VS कार्थेज के बीच —- तीन युद्ध हुए। उस समय रोम में कोई राजतंत्र नहीं था। 600 ई.पू. से एक राजतंत्र था, जिसमें तीन स्थर थे – राजा, जनसभा तथा सीनेट। सीनेट उस समय सबसे अधिक शक्तिशाली थी। उस समय गणतंत्रात्मक शासन व्यवस्था के आधार पर सीनेट एवं काउंसिल शासन करते थे। उस समय सीसली यहाँ पर एक आयरलैण्ड था। तथा वर्तमान का ट्यूनिसिया जिसको उस समय कार्थेज बोलते थे। इन दोनों (कार्थेज एवं रोम)में सीसली को लेकर विवाद प्रारंभ हो गया। रोमवासियों को लगता था, कि कार्थेज सीसली पर अपना अधिकार कर लेगा तथा यही बात कार्थेज भी सोचने लगा था। इसी बात को लेकर कार्थेज एवं रोम के मध्य तीन युद्ध लङे गये, जिनमें रोम की जीत हुई।

जूलियस सीजर (48-44 ई.पू.)

जूलियस सीजर एक सेनानायक था। उस समय में तीन सेनानायक होते थे। जिसन में से एक यह भी था। उन तीनों सेनानायकों को संयुक्त रूप से ट्रायमविरेट के नाम से जाना जाता था।

जूलियस सीजर के बारे में जानकारी

उपाधियाँ – इम्पेरेटर, पौंटिफेक्स, मैक्सीमस

कथन – दि डाइ इज कास्ट (पासा फेंका जा चुका है) मैं आया मैंने देखा मैंने जीत लिया(VNI,VIDI,VICI)

ट्राइमविरेट – सीजर ट्राइमविरेट का सदस्य था।

इसने जूलियनी पंचांग चलाया।

मोनसन ने कहा – उसकी संगठन शक्ति बहुत थी, वह राजा था, परंतु संगठन शक्ति बहुत थ, वह राजा था, परंतु राजाओं जैसा व्यवहार कदापि नहीं किया।

इसने फ्रांस में अपना शासन स्थापित कर लिया था।

जूलियस सीजर रोमन साम्राज्य का विश्व-विख्यात शासक हुआ। रोम के स्वर्णयुग के नाम से जूलियस सीजर के भतीजे अगस्टस सीजर का कार्यकाल जाना जाता है। कार्यकारिणी एवं जनसभा का पृथक्करण तथा नगरपालिकाओं द्वारा नगर प्रशासन चलाना रोम सभ्यता की ही देन है।

सीजर ने अपना भविष्य पुजारी के तौर पर प्रारंभ किया था, बाद में यह रोमन सेना में भर्ती हो गया। सीजर ने ब्रिटेन, फ्रांस, स्पेन, एशिया माइन,दक्षिणी यूरोप, उत्तरी अफ्रीका को भी जीत लिया था।

सीजर ने कहा था कि वीर इसलिये वीर होते हैं, कि उनके अंदर असंभव को भी संभव करने का जूनून होता है।

सीजर ने यह भी कहा है, कि हार और जीत जिन्दगी के कटु सत्य हैं, इन्हें उमंग से पार करना सीखो।

आम्टेवियन (अगस्टस सीजर) – 31 ई.पू.-14 ई.पू.

आम्टेवियन जूलियन सीजर का दत्तक पुत्र था। जूलियन सीजर को जब ब्रुटस और केलियस ने मिलकर मार डाला था, तो आगस्टस इन दोनों से बदला लेता है, और वह युद्ध फिलिप का युद्ध कहलाता है।

फिलिप का युद्ध (42 ई.पू.)- अगस्टस और ब्रुटस के मध्य लङा गया। इस युद्ध में ब्रुटस और केलियस को हरा दिया गया था।

एक्टियम का युद्ध (31 ई.पू.)में अगस्टस तथा मार्क एंटोनी के मध्य लङा गया। इस युद्ध में अगस्टस की जीत हुई थी।

अगस्टस की उपाधियाँ – अगस्टस (सीनेट द्वारा),इम्पेरेटर, प्रिंसेप श्रंखलाबद्ध सिविल सिर्विस को जन्म दिया।

अगस्टस का समय रोमन सभ्यता का स्वर्ण युग माना जाता है। इसी के समय में एक कवि वर्जिल था, जिसने ईनिड नामक पुस्तक की रचना की थी। इसी के युग में पैंथियन नामक प्रसिद्ध मंदिर का निर्माण हुआ । इसी के काल में ईसाई धर्म के प्रवर्तक ईसा मसीह का जन्म हुआ।

नीरो (54-68 ई.पू.)

कांस्टेटाईन प्रथम (324-377ई.) – यह रोम का प्रथम सम्राट था, जिसने ईसाई धर्म स्वीकार किया व राजधानी कोंसटेंटीनोपल (कुस्तूंतुनिया)को बनाया।

रोम निवासियों का योगदान

जिस्टिनियन (527-575ई.)- रोमन कानून का चयन विकास हुआ। उसने ड्रिबोनियन की अध्यक्षता में 10 विद्वानों की समिति बनाई। विद्वानों द्वारा संसोधन के बाद जस्टिनियन ने रोमन कानून का परिमार्जित तथा परिवर्ध्दित संस्करण निकलवाया, जिसे जस्टिनियन का कोट अथवा विधि संहिता कहते हैं। यह यूपोपीय कानूनो की आधारशिला माना जाता है।

बारह तख्तियों का कानून – 459 ई.पू. में जब प्लेबियनो ने जब अधिकार प्राप्ति के लिये आंदोलन किया तब कानूनो का पहला संग्रह तैयार हुआ,जिसे बाराह तख्यतियों का कानून नाम से पुकारा गया।

12 तख्तियों के कानून के नाम से रोम के लिखित कानूनों का संग्रह प्रसिद्ध है।

कानूनों के संग्रह की दृष्टि से रोमन सम्राट जस्टीनियन विश्व भर में प्रसिद्ध है। रोमन सम्राट नीरो को क्रूरता का प्रतीक माना जाता है।

उसके विषय में प्रसिद्ध है – जब रोम जल रहा था, तो नीरो चैन की बंसी बजा रहा था।

44 ई.पू. में सिसरो ने ब्रूटस की सहायता से जूलियस सीजर की हत्या कर दी।

रोम निवासियों ने भवन निर्माण में सर्वप्रथम कंक्रीट का प्रयोग प्रारंभ किया। सिसरो रोम का महान दार्शनिक और वक्ता था। होरेश, वर्जिल एवं प्रोथेर्टिज रोम के महान कवि थे।

धर्म के क्षेत्र में रोमनों की सबसे बङी देन ईसाई धर्म की उत्पत्ति तथा प्रचार है। प्रारंभ में रोम में यहूदी धर्म अथवा जूडाइज्म का प्रभाव था। आरंभ में रोमन सम्राट कान्सटेन्टाइन ने ईसाइयों पर तरह-तरह के अत्याचार किये, परंतु बाद में वह ईसाई धर्म का प्रबल समर्थक हो गया तथा उसे राज्य धर्म घोषित किया। यूरोप के पूर्वी छोर पर अक नये शहर कुस्तुनतुनिया की स्थापना सम्राट कान्स्टेन्टाइन ने की, जो आगे चलकर रोमन सम्राटों की राजधानी में तब्दील हो गया।

कुस्तुनतुनिया की स्थापना सम्राट कान्स्टेन्टाइन ने की, जो आगे चलकर रोमन सम्राटों की राजधानी में तब्दील हो गया।

कुस्तुनतुनिया स्थित संत सोफिया गिरजाघर का निर्माण सम्राट जस्टनियन ने करवाया था। रोमनों की भाषा लैटिन थी, इससे इटैलियन, स्पेनिश, फ्रेंच इत्यादि भाषाओं का जन्म हुआ। भारत एवं रोम के बीच व्यापारिक संबंधों पर प्रकाश डालने वाली कृति नेच्युरल हिस्ट्री की रचना एल्डर प्लिनी ने की। हजारों व्यक्तियों द्वारा बैठकर मनोरंजक कार्यक्रम देखने की व्यवस्था थी। इसे कोलोसियम कहा जाता था। गीतकाव्य (होरेस रचित), एनीड (वर्जित रचित) तथा कामेन्द्र (जूलियस सीजर रचित) आदि कालजयी रचनायें विश्व सभ्यता की देन हैं।

ग्लैडियेटर

यह रोमनों का अत्यन्त ही लोकप्रिय खेल था। शब्द ग्लैडियेटर का अर्थ तलवारबाजी होता है।

इसका आयोजन सामान्यतः धनी लोग अथवा उच्च पदों के उम्मीदवार अपने प्रचार के उद्देश्य से करते थे।

अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य

निगम की (कारपोरेशन) कल्पना का जन्म विश्व में सर्वप्रथम रोमन दिवानी कानून से हुआ।

सम्पति को तीन भागों में बांटा गया – देवभूमि, देवमंदिर (सार्वजनिक संपत्ति), देवपात्र (व्यक्तिगत संपत्ति)

प्रमुख देवी / देवता
  • पिनेटस – भंडार का देवता
  • वेस्ता – अग्नि का देवता
  • जुपिटर – आकाश का देवता
  • जूनो – स्त्रियों की देवी
  • वीनस – प्रेम की देवी
  • मिनर्वा – बुद्धि की देवी

लैटिन भाषा तथा उसका साहित्य विश्व सभ्यता को रोम की बहुत बङी देन है।

ट्राइमविरेट – पाम्पी + क्रेकस + जूलियस सीजर (प्रमुख सेनानायक)

रोमन कानूनो की तीन शाखाएं थी – नागरिक कानून, मानव कानून, प्राकृतिक कानून (जनक सिसरो था।)

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