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फोङा-फुँसी होने पर हल्दी का उपयोग | Use of turmeric for boils

फोङा-फुँसी होने पर हल्दी का उपयोग-

  • हल्दी और लौंग को पीसकर फोङे व नासूर पर लेप करने से काफी आराम मिलता है। इससे नासूर भी ठीक हो जाता है।
  • हल्दी की गाँठ को पत्थर पर घिस कर कुछ दिनों तक कण्ठमाला की गिट्टियों या गाँठों पर इसका लेप करने या तिल के तेल में हल्दी भूनकर रुई तर करके लगाने तथा 6-6 ग्राम हल्दी चूर्ण सुबह-शाम दूध या पानी के साथ लेने से गिट्टियाँ दब जाती हैं।
  • हल्दी चूर्ण को तवे पर भून लें या हल्दी की गाँठ को जलाकर राख करके, पीस लें। पानी मिलाकर गाढा लेप रसौली या गाँठ पर दिन में 3-4 बार लगाने से गाँठ या रसौली बैठ जाएगी।
  • हल्दी चूर्ण आधा किलोग्राम चार लीटर पानी में उबाल कर ठंडा कर लें, इसमें डेढ बोतल शहद मिलाकर बर्नी में भर दें। 2 सप्ताह के बाद छान कर बोतलों में भर लें। खाना खाने के आधा घंटे बाद 10-15 ग्राम आसव ले लें। यह खून साफ करके हल्दी के तेल में फोहा तर करके उस पर बाँध दें।
फोङा-फुँसी
  • एक प्याज आग (भूभल) में भून कर इसकी चार परतों पर हल्दी चूर्ण डालकर जितना गर्म सहन हो फोङे पर रखकर ऊपर पीपल का पत्ता रखकर पट्टी बाँध दें। दिन में दो बार इस प्रकार पट्टी करने से फोङा बैठ जाएगा या पक कर फूट जाएगा।
  • अल्सी की पुल्टिस में हल्दी मिलाकर फोङे पर बाँधने से फोङा शीघ्र पक कर फूट जाता है और रोगी को राहत मिलती है।
  • ग्वारपाठे के पत्तों का गूदा गर्म कर जरा सी हल्दी मिलाकर पुल्टिस की तरह फोङे या गाँठ पर बाँधने से फोङा जल्दी पक कर फूट जाता है।
  • प्याज को कूट-पीसकर उसमें हल्दी, गेहूँ का आटा, देशी घी व पानी मिलाकर आग पर रखकर पुल्टिस बना लें। इसे गर्म-गर्म ही फोङे व गाँठ पर बाँध दें। फोङा फूट जाएगा।

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