इतिहासप्राचीन भारतवाकाटक वंश

बासीम शाखा के वाकाटक

वाकाटक वंश की बासीम शाखा की स्थापना 330 ईस्वी में सम्राट प्रवरसेन प्रथम के छोटे पुत्र सर्वसेन ने की थी। उसने वत्सगुल्म नामक स्थान में अपने लिये एक स्वतंत्र राज्य स्थापित कर लिया। वत्सगुल्म महाराष्ट्र के अकोला जिले में आधुनिक बासीम में स्थित था। इसी कारण इस शाखा को वत्सगुल्म अथवा बासीम शाखा कहा जाता है।

बासीम शाखा के शासक विन्ध्यशक्ति द्वितीय का ताम्रपत्र प्राप्त हुआ है। इस शाखा के कुछ शासकों के नाम अजंता की सोलहवीं गुफा से प्राप्त एक लेख में मिलते हैं।

सर्वसेन ने बहुत थोडे समय तक राज्य किया और उसके राज्य-काल की घटनाओं के विषय में ज्यादा जानकारी प्राप्त नहीं है। सर्वसेन के बाद उसका पुत्र विन्ध्यशक्ति द्वितीय (350-400 ईस्वी) शासक हुआ। उसका शासन पत्र बासीम से प्राप्त हुआ है। इससे पता चलता है, कि उसने नांदीकट (हैदराबाद) क्षेत्र में एक गांव दान में दिया। उसने कुंतल (दक्षिण महाराष्ट्र) को जीतकर अपने राज्य में मिला लिया। इस प्रकार उसके राज्य में दक्षिणी बरार, उत्तरी हैदराबाद तथा नागर, नासिक, पूना तथा सतारा के जिले सम्मिलित थे।

विन्ध्यशक्ति के बाद उसका पुत्र प्रवरसेन द्वितीय राजा हुआ, जिसने लगभग 12 वर्षों (400-415 ईस्वी) तक राज्य किया। उसकी मृत्यु के समय उसका पुत्र, जिसका नाम अज्ञात है, वह अवयस्क था।

इस अज्ञात शासक का पुत्र देवसेन हुआ, जिसने 455 ईस्वी से 475 ईस्वी के लगभग तक शासन किया। अजंता के लेख में उसके योग्य तथा अनुभवी मंत्री हस्तिभोज का उल्लेख मिलता है। देवसेन के बाद हरिषेण शासक हुआ।

Reference :https://www.indiaolddays.com

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