वैदिक संस्कृत के बाद लौकिक संस्कृत में भारतीय साहित्य का प्रचुर रूप से निर्माण हुआ, जिसका विषय, भाषा, व्यवहार आदि सभी दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण स्थान है। वैदिक साहित्य धर्मप्रधान है, जबकि लौकिक साहित्य लोक-व्यवहार प्रधान है। लौकिक साहित्य की भाषा पाणिनि द्वारा परिमार्जित लौकिक संस्कृत है, जो सामान्य जनता की पहुँच में है।
रामायण
लौकिक साहित्य के अंतर्गत सर्वप्रथम उल्लेख महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण का किया जा सकता है, जो हिन्दू जाति का सर्वाधिक लोकप्रिय ग्रंथ है। रामायण को आदि काव्य तथा उसके रचयिता वाल्मीकि को आदि कवि माना जाता है। रामायण के वर्तमान स्वरूप में चौबीस हजार श्लोक हैं, जिससे इसे चतुर्वंशतिसाहस्त्रीसंहिता कहा गया है…अधिक जानकारी
महाभारत
रामायण के अलावा एक अन्य महाकाव्य, जिसकी प्राचीनता रामायण के ही समकालीन है, महाभारत की है। संप्रति इस ग्रंथ में एक लाख श्लोकों का संग्रह है, जिसके कारण इसे शतसाहस्त्र संहिता कहा जाता है। यह जिस रूप में इस समय प्राप्त है, उससे स्पष्ट है, इसकी रचना किसी एक कवि द्वारा एक समय में नहीं की गई थी। शैली, भाषा, छंदादि की दृष्टि से इनमें भारी विषमता है…अधिक जानकारी
References : 1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव
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