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प्राचीन इतिहास तथा संस्कृति के प्रमुख स्थल भरहुत

मध्य प्रदेश के सतना जिले में भरहुत नामक स्थान स्थित है। इसकी दूरी सतना से 9 मील दक्षिण की दिशा में है। यहाँ मौर्य सम्राट अशोक ने एक स्तूप का निर्माण करवाया था। यह ईटों का बना था। शुंगकाल में उनका विस्तार किया गया तथा उसके चारों ओर पाषाण की वेष्टिनी निर्मित कर दी गयी। वेष्टिनी के ऊपर ‘सुगनंरजे….’ उत्कीर्ण है जिससे पता चलता है कि इसका निर्माण शुंगों के राज्यकाल में किया गया था। वेष्टिनी के चारों ओर एक-2 तोरणद्वार बना था। स्तूप तथा वेष्टिनी के मध्य प्रदक्षिणापथ था। वेष्टिनी में कुल 80 स्तम्भ लगाये गये थे। वेष्टिनी, स्तम्भ तथा तोरण पट्टों पर खुदी हुई मूर्तियाँ है तथा वे बुद्ध के जीवन की घटनाओं, जातक कथाओं तथा मनोरंजन दृश्यों से युक्त है। यक्ष, नाग, लक्ष्मी, राजा, सामान्य पुरूष, सैनिक,वृक्ष, बेल आदि उत्कीर्ण है। सबसे ऊपर की बड़ेरी पर धर्मचक्र स्थापित था जिसके दोनों ओर त्रिरत्न थे। तोरण वेष्टिनी के ऊपर कुछ ऐतिहासिक दृश्यों का भी अंकन है। एक स्थान पर कोशलराज प्रसेनजित तथा दूसरे पर मगधराज अज्ञातशत्रु को बुद्ध की वन्दना करते हुए प्रदर्शित किया गया है।

1873 ई. में कनिंघम महोदय ने भरहुत स्तूप का पता लगाया था। यह सम्प्रति अपने मूल स्थान से नष्ट हो गया है। इसके अवशेष कलकत्ता तथा प्रयाग के संग्रहालयों में सुरक्षित है। इन्हें देखने से लोक-जीवन के विविध अंगों की जानकारी मिलती है।

References :
1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव 

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