इतिहासफ्रांस की क्रांतिविश्व का इतिहास

फ्रांस में डाइरेक्टरी का शासन

फ्रांस में डाइरेक्टरी का शासन

फ्रांस में डाइरेक्टरी अथवा संचालक मंडल ने 27 अक्टूबर, 1795 से 19 नवंबर, 1799 तक शासन किया। कार्यपालिका के समस्त अधिकार पाँच व्यक्तियों के इसी संचालक मंडल में निहित थे। प्रारंभ से ही इसकी असफलता के आसार दिखाई देने लगे थे।

संचालकों में कारनट को छोङकर सभी कम बुद्धि वाले बदनाम और स्वार्थी राजनीतिज्ञ थे। इसे जनता का समर्थन भी प्राप्त न था। यह प्रांतीय दंगों को रोकने में असमर्थ रही। राजा के पक्ष में बढते हुए समर्थन को भी न रोक सकी और न ईसाई पूजा पद्धति को रोक पाई। उसका शासन भ्रष्ट और कमजोर था और उसे अपने अस्तित्व के लिये सेना पर निर्भर रहना पङता था।

डाइरेक्टरी के शासनकाल में जैकोबिन क्लब को पूर्णतया बंद कर दिया गया और कम्यून तथा क्रांतिकारी परिषद् को समाप्त कर दिया गया। उसके समय विद्रोहों का ताँता काफी बढ गया। अप्रैल, मई और अक्टूबर में भीषण विद्रोह हुए। अंत में नेशनल गार्ड और फिर जनरल बर्रास की फौज की मदद ली गई। बर्रास का सहायक युवक नेपोलियन बोनापार्ट था, जिसे पुरस्कार के रूप में देश की सेना का कमान मिला।

1795 के अक्टूबर में संचालक मंडल के विरोध में पैन्थियन नामक अेक सोसायटी का गठन हुआ, क्योंकि लोगों को स्पष्ट हो गया कि संचालक मंडल केवल धनी लोगों के अधिकारों की चिन्ता में लगा हुआ है। पैन्थियन सोसायटी के बहुत से सदस्य पुराने जैकोबिन थे।

सोसायटी की बैठकें टार्च के प्रकाश में होती थी और इसके विचारों का प्रकाशन ट्रिब्यून नामक पत्रिका के माध्यम से किया जाता था, संचालक मंडल ने इस पर जोरदार प्रहार किया। फरवरी, 1796 में नेपोलियन बोनापार्ट को इस सोसाइटी को समाप्त करने का काम सौंपा गया। उग्रवादियों ने शीघ्र ही एक गुप्त समिति कायम कर ली। इस समिति ने समानता के आदर्श के लिये जोरदार संघर्ष किया।

वैदेशिक मामलों और युद्ध संचालन में डाइरेक्टरी का शासन भाग्यशाली रहा। 1795 ई. के प्रारंभ में ही स्पेन, प्रशा और हालैण्ड ने फ्रांस से संधि कर ली। बाद में पुर्तगाल, सैक्सनी और हेसेस नामक जर्मन राज्य और इटली के नेपल्स, पारमा और पोप के राज्यों ने भी संधि कर ली। अब स्थल पर केवल आस्ट्रिया और जल पर इंग्लैण्ड ही फ्रांस के विरुद्ध संघर्षरत थे।

नेपोलियन बोनापार्ट ने आर्श्चर्यजनक ढंग से आस्ट्रिया को पराजित करके संधि करने के लिये विवश कर दिया, परंतु इंग्लैण्ड के विरुद्ध उसे भी सफलता न मिली। हाँ, उसे डाइरेक्टरी के शासन का अंत करने और फ्रांस की शासन सत्ता अपने हाथ में लेने में अवश्य सफलता मिली। इसी के साथ क्रांति का मुख्य भाग समाप्त हो जाता है।

1. पुस्तक- आधुनिक विश्व का इतिहास (1500-1945ई.), लेखक - कालूराम शर्मा

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