अशोकइतिहासप्राचीन भारतमौर्य साम्राज्य

मौर्य सम्राट अशोक की परराष्ट्र नीति कैसी थी

अशोक की धम्म नीति ने उसकी परराष्ट्र नीति को भी प्रभावित किया तथा अशोक ने अपने पङोसियों के साथ शांति एवं सहअस्तित्व के सिद्धांतों के आधार पर अपने संबंध स्थापित किये। अशोक विदेशी राज्यों के साथ संबंधों के महत्त्व से भली-भांति परिचित था।

मौर्य शासक अशोक एवं उसका बौद्ध धर्म।

साम्राज्य के पश्चिमी तथा दक्षिणी सीमा पर स्थित राज्यों के साथ उसने राजनयिक एवं मैत्री संबंध स्थापित किये। चंद्रगुप्त के समय में सेल्युकस तथा मौर्य राजवंशों के बीच मैत्री संबंध था और दूतों का आदान-प्रदान होता था।यह परंपरा बिन्दुसार के समय में भी बनी रही। हमें पता है कि मिस्री नरेश टालेमी फिलाडेल्फस ने, जो अशोक का समकालीन था, उसके दरबार में अपना राजदूत भेजा था।चंद्रगुप्त मौर्य का इतिहास। बिंदुसार का इतिहास।

अशोक के तेरहवें शिलालेख से पता चलता है, कि उसने पाँच यवन राज्यों में अपने धर्म प्रचारक भेजे थे। इनका मुख्य उद्देश्य सम्राट की धम्मनीति के बारे में वहाँ के लोगों को बताना था। यवन राज्यों में उसके प्रचारकों को कुछ सफलता मिली। अपने दूसरे शिलालेख में अशोक यह बताता है, कि उसने इन राज्यों में मनुष्यों तथा पशुओं के लिये अलग-2 चिकित्सा की व्यवस्था कराई थी।

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दक्षिणी सीमा पर स्थित चार तमिल राज्यों में भी उसने अपने धर्म प्रचारक भेजे थे। जो निम्नलिखित हैं –

  1. चोल,
  2. पाण्ड्य,
  3. सतियपुत्त तथा केरलपुत्त,
  4. ताम्रपर्णि अर्थात् लंका

चीनी यात्री ह्वेनसांग हमें बताता है, कि उसने चोल तथा पाण्ड्य राज्यों में अशोक द्वारा निर्मित एक-2 स्तूप देखे थे।

इससे प्रकट होता है कि अशोक के प्रचारक दक्षिणी राज्यों में गये थे। एक तमिल परंपरा से पता चलता है, कि दक्षिण में लिपि का प्रचार उन विदेशियों द्वारा किया गया जो पाषाण लेखों के निर्माता थे।

एक पल्लव लेख से पता चलता है, कि वहां का शासक अशोकवर्मन था। लंका के शासक तिस्स ने बौद्ध-धर्म ग्रहण कर लिया। दूसरे पृथक कलिंग लेख में अशोक अपने पङोसी राज्यों के प्रति अपने विचारों को इस प्रकार व्यक्त करता है – उन्हें मुझसे डरना नहीं चाहिए, वे मुझ पर विश्वास करें। उनको मुझसे सुख मिलेगा, दुःख नहीं। उन्हें यह भी समझ लेना चाहिए कि राजा यथासंभव उन्हें क्षमा करेगा।उन्हें मेरे कहने से धर्म का अनुसरण करना चाहिए, जिससे इस लोक तथा परलोक का लाभ प्राप्त हो।

इन पंक्तियों से स्पष्ट है कि अशोक अपने पङोसी राज्यों के साथ शांति, सहिष्णुता एवं बंधुत्व के आधार पर मधुर संबंध बनाए रखने को उत्सुक था और उसे इसमें सफलता भी प्राप्त हुई।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

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