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पूर्वी द्वीपों के हिन्दू राज्यों का इतिहास

पूर्वी द्वीपों के हिन्दू राज्यों का इतिहास

पूर्वी द्वीप के हिन्दू राज्यों में सुमात्रा, जावा, बोर्नियों तथा वाली का उल्लेख किया जा सकता है। सुमात्रा में सबसे प्राचीन हिन्दू-राज्य श्रीविजय था। सातवीं शती. में यहाँ जयनाग नामक बौद्ध शासन कर रहा था। इत्सिंग के विवरण से पता चलता है, कि श्रीविजय बौद्ध अनुशीलन का प्रसिद्ध केन्द्र था।

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जावा में कई हिन्दू राज्य स्थापित किये गये थे। प्राचीन भारतीय साहित्य में इसे यवनद्वीप कहा गया है। पश्चिमी जावा से प्राप्त संस्कृत लेखों में पूर्णवर्मन् नामक राजा का उल्लेख मिलता है, जो छठीं शताब्दी में यहाँ शासन करता था। जावा के एक प्रमुख राज्य का नाम चीनी ग्रंथों में हो-लिंग मिलता है, जिसे अनेक विद्वान भारतीय राज्य कलिंग का रूपान्तर बताते हैं। इससे ऐसा सिद्ध होता है, कि जावा तथा कलिंग के बीच घनिष्ठ संबंध था।

आठवीं शताब्दी ईस्वी में जावा, सुमात्रा तथा मलाया के भूभागों पर शैलेन्द्र नामक एक नवीन राजवंश का उदय हुआ। शैलेन्द्र ने एक शक्तिशाली साम्राज्य की स्थापना की तथा संपूर्ण पूर्वी द्वीप पर अपना एकछत्र शासन कायम कर लिया। इस वंश के शासक महाराज की उपाधि धारण करते थे। अरब लेखक उनकी शक्ति एवं वैभव की प्रशंसा करते हैं। शैलेन्द्र उत्साही निर्माता थे। जावा का बोरोबुदूर बौद्धस्तूप उनकी कीर्ति का स्मारक है।

शैलेन्द्रवंश का पतन सुदूर दक्षिण के चोलों के आक्रमण के फलस्वरूप हुआ। इसके पश्चात् जावा में जिस नये राज्य का उदय हुआ, उसे पूर्वी जवानी राज्य कहा गया है। पूर्वी जावा के राज्यों में कडिरि तथा सिहसारि प्रसिद्ध हैं। चौदहवीं शती में यहाँ मजपहित साम्राज्य की स्थापना हुई। पूर्वी जवानी नरेश भारतीय संस्कृति के प्रबल पोषक थे।

सुमात्रा तथा जावा के अलावा बोर्नियो तथा बाली भी हिन्दू संस्कृति के प्रमुख केन्द्र थे। बोर्नियो से कई संस्कृत लेख मिलते हैं, जिनमें मूलवर्मा नामक हिन्दू शासक का उल्लेख मिलता है। अभिलेखों से यह स्पष्ट हो जाता है, कि बोर्नियो के अधिकांश निवासी ब्राह्मण थे तथा वहाँ भारतीय संस्कृति का व्यापक प्रचार-प्रसार था। छठीं शताब्दी के पूर्व ही बाली में भी हिन्दू उपनिवेश स्थापित स्थापित किया जा चुका था। चीनी साहित्य से पता चलता है, कि यहाँ का राजपरिवार कौडिन्यकुल से संबंधित था। इत्सिंग के विवरण से पता चलता है, कि बाली बौद्ध धर्म का प्रसिद्ध केन्द्र था।

References :
1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव 

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