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चोल शासक राजेन्द्र द्वितीय का इतिहास

राजेन्द्र द्वितीय राजाधिराज का छोटा भाई था और उसकी मृत्यु के बाद राजा बना। उसके शासन काल में भी चोलचालुक्य संघर्ष चलता रहा।

सोमेश्वर ने वेंगी की गद्दी पर विजयादित्य सप्तम के पुत्र शक्तिवर्मन द्वितीय को आसीन किया तथा उसकी मदद के लिये चामुण्जराज के नेतृत्व में एक बङी सेना भेजी। उसने अपने दो पुत्रों – विक्रमादित्य तथा जयसिंह को गंङ्गवाडि में चोल राज्य पर आक्रमण करने को भेजा। चोल नरेश राजेन्द्र ने अपने पुत्र राजमहेन्द्र तथा भाई वीर राजेन्द्र के साथ दोनों मोर्चों पर सोमेश्वर का प्रतिरोध किया। वेंगी में उसकी सेना ने चामुण्डराज तथा शक्तिवर्मन को पराजित किया तथा वे दोनों मार डाले गये। गङ्गवाडि के चालुक्य आक्रमणकारी कुड्डल संगमम् (तुंग तथा भद्रा के संगम पर स्थित कूड्डलि) के युद्ध में परास्त किये गये तथा उन्हें चोल राज्य से भागना पङा। इस प्रकार सोमेश्वर दोनों ही मोर्चों पर बुरी तरह से असफल रहा था।

इस असफलता के कुछ दिनों बाद राजेन्द्र द्वितीय तथा उसके पुत्र राजमहेन्द्र की मृत्यु (1063-64ई.) हो गयी। वह अपने साम्राज्य को सुरक्षित रख सकने में सफल रहा।

References :
1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव 

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