सुत्त पिटक क्या है
सुत्त पिटक बौद्ध साहित्य के भाग त्रिपिटकों का एक पिटक है। इस पिटक में बौद्ध धर्म के सिद्धांत तथा उपदेशों का संग्रह है।
सुत्त पिटक के 5 भाग हैं-
- दीघनिकाय
- मज्झिमनिकाय
- संयुक्त निकाय
- अंगुत्तर निकाय
- खुदक्क निकाय
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दीघनिकाय-
इसमें 32 बङे सुत्त (सूक्त) मिलते हैं तथा राजत्व सिद्धांत मिलता है। दीघनिकाय के सीलक्खंद्दक वग्ग के सामञ्ञफुल सुत्त में अजातशत्रु एवं बुद्ध के वार्तालाप मिलते हैं। इस सुत्त में महावीर स्वामी को निगंठनाथपुत्त कहा गया है। दीघनिकाय के महापरिनिर्वाण सुत्त में अजातशत्रु के वैशाली पर आक्रमण का विचार तथा बुद्ध का कारीगर चुंद के यहाँ अंतिम बार भोजन करना, बुद्ध का अंतिम उपदेश, उनकी अंतिम यात्रा, का वर्णन मिलता है। बुद्ध का अंतिम उपदेश – “वयं धम्म संखारा अप्प मादेन सम्पादेव” अंतिम उपदेश का अर्थ – ( सभी धर्म नाश्वान हैं, अप्रमाद (आलस्यरहित) के साथ संपादित करो।) दीघनिकाय के पासादिक सुत्त में महावीर स्वामी के पावा में मृत्यु की सूचना मिलती है। दीघनिकाय के तेविज्ज सुत्त में कुछ ब्राह्मण ऋषियों – यमदग्नि, भारद्वाज, अत्रि, विश्वामित्र, वामन आदि का उल्लेख है। तेविज्ज सुत्त में ऐतरेय ब्राह्मण,तैतरीय ब्राह्मण, छांदोग्य ब्राह्मण का उल्लेख मिलता है।
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मज्झिमनिकाय-
इस सुत्त में 150 मध्यम सुत्त मिलते हैं।
3. संयुक्त निकाय-
इस सुत्त में 2000 छोटे सुत्त (उपदेश) मिलते हैं।
4. अंगुत्तर निकाय-
इसमें 16 महाजनपदों का उल्लेख मिलता है।
5. खुदक्क निकाय-
इसके 15 भाग हैं,जिनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं-
यह सुत्त पद्यात्मक शैली में हैं-
- थेरगाथा- इसमें बौद्ध भिक्षुओं द्वारा लिखी गई रचनाओं का संग्रह है।
- थेरीगाथा- बौद्ध भिक्षुणियों की रचनाएँ।
- धम्मपद- इसे बौद्धों की गीता कहा जाता है तथा यह बौद्ध नीति ग्रंथ भी कहलाता है।
- सुत्तनिपाद
- चरिमापिटक
- उदान, पंतपत्थु, विमानवत्थु
- जातक कथा- इस ग्रंथ में बुद्ध के 84000 पूर्व जन्मों की कहानियां 500 से ज्यादा कथाओं में मिलती हैं। फाह्यान ने 5 वी. शाता.में श्रीलंका में जातक कथाओं के चित्रण को देखा था। इससे जातक कथाओं की प्राचीनता का प्रमाण मिलता है।
- धजविदेह जातक- इस ग्रंथ में वाराणसी के अनेक नाम मिलते हैं। जैसे- केतुमती, पुफ्फुवती, रम्मनगर, मोलिनी, सुदस्सन, सुरुन्धन, ब्रह्मषड्ठन।
- चंपेल जातक- इस ग्रंथ में मगध और अंग महाजनपद के युद्ध का उल्लेख मिलता है।
- दशरथजातक- देवधम्मजातक में रामकथा का उल्लेख मिलता है।
- हरितमान जातक- बिम्बिसार व प्रसेनजित के बीच वैवाहिक संबंधों की जानकारी मिलती है।
Reference : https://www.indiaolddays.com/