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प्राचीन इतिहास तथा संस्कृति के प्रमुख स्थल ताम्रलिप्ति(तामलुक)

पश्चिमी बंगाल के मिदनापुर जिले में स्थित तामलुक नामक स्थान ही प्राचीन समय में ताम्रलिप्ति के नाम से प्रसिद्ध था। यह पूर्वी भारत का सुप्रसिद्ध बन्दरगाह था। गुप्तकाल में जावा, सुमात्रा आदि दक्षिणी-पूर्वी देशों तथा सिंहल के लिये व्यापारिक जहाज यहाँ से आते-जाते थे। इन देशों को पहुँचने के लिए ताम्रलिप्ति अंतिम भारतीय बन्दरगाह था। चम्पा से एक व्यापारिक मार्ग कजंगल होता हुआ ताम्रलिप्ति पहुँचता था।

सिंहल के बौद्ध ग्रन्थों में ताम्रलिप्ति से व्यापारियों के आवागमन का कई बार उल्लेख मिलता है। चीनी यात्री फाहियान ने भी ताम्रलिप्ति का उल्लेख गुप्त साम्राज्य के एक महत्वपूर्ण बन्दरगाह के रूप में किया है। वह स्वयं यहाँ से एक व्यापारी जहाज में बैठकर सिंहल गया था।

फाहियान किस शासक के काल में भारत आया था ?

व्यापारिक बन्दरगाह होने के साथ-2 ताम्रलिप्ति संस्कृति का भी प्रमुख केन्द्र था। यहाँ एक प्रसिद्ध शिक्षा केन्द्र था। फाहियान, हुएनसांग, इत्सिंग आदि ने यहां रहकर अध्ययन किया था। फाहियान के अनुसार यहाँ 24 विहार थे जहाँ दो हजार भिक्षु निवास करते थे। हुएनसांग ने यहाँ दस विहार तथा एक हजार भिक्षु देखे थे। इत्सिंग ने यहाँ नौ वर्ष तक रहकर शिक्षा ग्रहण की थी। उसके समय राहुलमित्र यहाँ के आचार्य थे। यहाँ दूर-2 से विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त करने के लिए आया करते थे।

इत्सिंग कौन था, यह किसके काल में भारत आया था ?

References :
1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव 

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