इतिहासप्रमुख स्थलप्राचीन भारत

प्राचीन इतिहास तथा संस्कृति के प्रमुख स्थल विक्रमशिला

बिहार प्रान्त के भागलपुर जिले में स्थित विक्रमशिला प्राचीन भारत का सुप्रसिद्ध शिक्षा केन्द्र था। इसकी स्थिति भागलपुर में 24 मील पूर्व की ओर पथरघाट पहाड़ी पर बतायी गयी है जहाँ से प्राचीन काल के विस्तृत खण्डहर प्राप्त होते हैं।

बंगाल के पाल नरेश धर्मपाल ने 8वीं शती ई. में इस प्रसिद्ध बौद्ध महाविद्यालय की नींव डाली थी। यहाँ पर लगभग 160 विहार थे, जिनमें अनेक विशाल प्रकोष्ठ बने हुए थे। विद्यालय में सौ शिक्षकों की व्यवस्था थी। नालन्दा की भाँति विक्रमशिला विश्‍वविद्यालय भी बौद्ध संसार में सर्वत्र सम्मान की दृष्टि से देखा जाता था। इस महाविद्यालय के अनेक सुप्रसिद्ध विद्वानों में ‘दीपांकर श्रीज्ञान अतीश’ प्रमुख थे। ये ओदंतपुरी के विद्यालय के छात्र थे और विक्रमशिला के आचार्य। 11वीं शती में तिब्बत के राजा के निमंत्रण पर ये वहाँ पर गए थे। तिब्बत में बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार में इनका योगदान बहुत महत्वपूर्ण समझा जाता है।

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विक्रमशिला विश्‍वविद्यालय बौद्ध धर्म की वज्रयान शाखा का प्रमुख केन्द्र था। यहाँ न्याय, तत्वज्ञान एवं व्याकरण की शिक्षा दी जाती थी। 12वीं शती में यह विश्वविद्यालय एक विराट् शिक्षा–संस्था के रूप में प्रसिद्ध था। इस समय में यहाँ पर तीन सहस्र विद्यार्थियों की शिक्षा के लिए समुचित व्यवस्था थी। संस्था का एक प्रधान अध्यक्ष तथा छः विद्वानों की एक समीति मिलकर विद्यालय की परीक्षा, शिक्षा, अनुशासन आदि का प्रबन्ध करती थी। 1203 ई. में मुसलमानों ने जब बिहार पर आक्रमण किया, तब नालन्दा की भाँति विक्रमशिला को भी उन्होंने पूर्णरूपेण नष्ट–भ्रष्ट कर दिया। बख़्तियार ख़िलजी ने 1202-1203 ई. में विक्रमशिला महाविहार को नष्ट कर दिया था। यहाँ के विशाल पुस्तकालय को आग के हवाले कर दिया था, उस समय यहाँ पर 160 विहार थे जहां विद्यार्थी अध्ययनरतथे। इस प्रकार यह महान विश्वविद्यालय, जो उस समय एशिया भर में विख्यात था, खण्डहरों के रूप में परिणत हो गया। नालंदा विश्विद्यालय हो या विक्रमशीला , ये भारत देश की धरोहर थी, भारत की आन बान और शान , ये वो गौरव को महसूस करवाती है जो भारतीयों को पूर्वजो ने उनके लिए बनवाया था , जिसे मुस्लिम आक्रमणकारी ने नष्ट कर दिया , ये इस देश की बिडम्बना ही है बिडम्बना ही कहा जायेगा आज भी इस देश के लोग सेक्युलर बन कर मुस्लिमों को भाई मानते हैं जबकि मुस्लिमों ने भारत की धरती को छति ही पहुचाया है, देश भर में बहोत सारे मंदिर है जो इस देश की धरोहर थी उससे तोड़कर मस्जिद बनवा डाला, देश की गौरव के रूप में मौजूद , नालंदा विश्वविद्यालय, विक्रमशीला विश्विविद्यालय, को नष्ट कर दिया अगर ये नष्ट नहीं किया गया होता तो आज भारत , ज्ञान विज्ञानं, कला संस्कृति, हर क्षेत्र में दुनिया को लोहा मनवा रहा होता , भारत आज भी इस ज्ञान विज्ञानं, कला संस्कृति, क्षेत्र में दुनिआ की सबसे पुरानी सभ्यता का प्रतीक है।

References:
1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक-के.सी.श्रीवास्तव

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