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आँखों की एलर्जी में हल्दी का उपयोग | Aankhon kee elarjee mein haldee ka upayog | Use of Turmeric in Eye Allergies

आँखों की एलर्जी प्रदूषण, कम नींद और हाइजीन का ख्‍याल ठीक से न रख पाने के कारण सबसे ज्‍यादा नुकसान आंखों को ही पहुंचता है।

आँखों की एलर्जी

आँखों की एलर्जी – आँखों में लाली या दर्द महमूस हो तो साफ कपङे को गीला करके हल्दी लगाकर आँखों पर रखें।

हल्दी को पानी में घिसकर सोते समय सलाई से डालने से आँखें दुखती हों, लाल रहती हों, आँखों में घाव या कार्निया से भारी रहती हों, नजर कमजोर हो गयी हों, आँखों की सभी बीमारियाँ फौरन दूर हो जाएँगी।

आमा हल्दी, रसवंती, तुलसी के बीज (प्रत्येक 5 ग्राम) तथा अफीम 2 ग्राम सबको ग्वारपाठे के गर्म जल में मिलाकर घोटें। आँखों के चारों तरफ इसका लेप करने से दर्द में लाभ होता है।

यह भी जानें – हल्दी के प्रकार

एक कप (चीनी मिट्टी या काँच का हो) में 2-3 हल्दी की गाँठें रखकर नींबू के रस में डुबो कर रस डालते रहें। एक माह बाद हल्दी को निकाल कर छाया में सुखाकर कूट पीसकर कपङछान कर लें। सुरमे की तरह इसे नित्य आँखों में लगाते रहने से नेत्र ज्योति कमजोर नहीं होती है।

हल्दी चूर्ण 10 ग्राम को बीस ग्राम पानी में उबालें। गुनगुना रहने पर साफ मुलायम कपङे को भिगोकर आँख पर रखें। हल्का गर्म रहने पर इस पानी से चुल्लू भर कर आँखों पर छींटे मारे। 2-2 बूँदें आँख में डालें। आँख दुखना, लाली, दर्द, कीचङ आदि दूर हो जाएगी।

आधा किलो पानी में आधा चम्मच हल्दी चूर्ण व जरा सी फिटकरी डालकर उबाल लें। गुनगुना रहने पर मुलायम कपङा इसमें भिगोकर आँखों पर रखें, फिर आँखें इस पानी से धो लें। सुबह-शाम यह क्रिया करने से 10-12 दिन में जाला कट जाएगा।

हल्दी की 1-2 गाँठें गलगल या बिजौरा नीबू में छेद करके घुसा दें। नींबू न मिले मिले तो अमृतधारा की शीशी में डालकर उसमें हल्दी की गाँठें डुबो दें। नींबू व नीम के पेङ में से डेढ महीने में व अमृतधारा में से 8 दिन में निकाल लें। गाँठ को चंदन की तरह घिसकर आँखों में सुबह शाम लगाने से मोतियाबिन्द की झिल्ली कटकर निकलने लगेगी। नीम के पेङ में से हल्दी की गाँठें निकाल कर एक सप्ताह तक एक घंटे तक इतना खरल करें कि मैदे की तरह मुलायम हो जाएँ। अंतिम घुटाई में एक टिकिया कपूर और एक चम्मच गुलाब जल डालकर कपङछान कर लें। आँखों की ज्योति आ जाएगी व अंधता दूर हो जाएगी।

गलगल या बिजौरा नींबू में हल्दी की गाँठें घुसा दें। इसके सुरमे को आँखों के पपोटे पलटकर उसमें उसमें यह पाउडर पङवाल पर बुरक दें। दो घंटे बाद ही पङवाल उखाङकर फेंक दें, बाद में हल्दी पाउडर मल दें। अगले दिन पपोटे पलट कर फिर देख लें कि कोई पङवाल बचा न रह गया हो।

हल्दी को पानी में घिस कर हल्का सा गर्म करके पलकों पर लेप करने से आँखों में लाली, शोथ, पानी बहने पर लाभ होता है।

हल्दी को आँवले के रस में पीसकर नेत्रों में लगाने से नेत्रों का पीलापन नष्ट होता है।

हल्दी व अनार के पत्तों का रस निकाल कर इसकी 2-2 बूँदें आँखों में डालने से आँखों की लाली दूर होती है।

दारु हल्दी 25 ग्राम, रसौत और नीम की पत्तियाँ तथा कपूर समान मात्रा में लेकर खरल करके, कपङछान करके नित्य सुबह शाम सलाई से लगाने से रतौंधी दूर होती है। एक मास गर्म भोजन व बर्फ के पानी का सेवन न करें।

हल्दी और नीम की नई कोपलें बराबर मात्रा में 7 दिन खरल में घोटें, घोटते समय पीपल का दूध उसमें मिला लिया करें। इस दवा को काजल की तरह आँखों में लगाने से आँखों में पुनः रोशनी आने लगेगी।

हल्दी की गाँठ व नीम की सूखी पत्तियाँ 10 ग्राम, काली मिर्च इन सबको गाय के ताजे मूत्र में 6 दिन तक खरल करें, सातवें दिन एक टिकिया कपूर मिलाकर कपङाछान करके शीशी में भर लें। मोतियाबिन्द में इस सुरमे को लगाने से फूला अपने आप कटकर आँखें साफ हो जाएँगी तथा खोई हुई रोशनी पुनः आ जाएगी।

हल्दी एवं लौंग को पानी में घिसकर गुनगुना गर्म करके गुहरी या बिलनी पर लगाने से तीन दिन में गुहेरी ठीक हो जाएगी।

हल्दी बारीक पिसी हुई को घी में भूनकर रूई के फोहे को पलकों पर लेप करने से नेत्रों की सूजन, लाली, पानी गिरना आदि रोग ठीक हो जाते हैं।

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