इतिहासविश्व का इतिहाससंयुक्त राष्ट्र संघ

संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना कब हुई

संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना

संयुक्त राष्ट्र संघ – सन् 1938 तक राष्ट्रसंघ की निर्बलता प्रकट हो चुकी थी। 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध आरंभ हो गया। द्वितीय विश्व युद्ध के भीषण विध्वंसकारी ताण्डव ने विचारशील राजनीतिज्ञों को मानव जाति की रक्षा के लिये शांति को सुरक्षित बनाए रखने वाले एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन के निर्माण की आवश्यकता अनुभव कराई।

अतः युद्धकाल में ही कुछ राजनीतिज्ञों ने यह अनुभव किया कि शांति एवं अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग विश्व के लिये अनिवार्य है।

संयुक्त राष्ट्र संघ

पश्चिमी यूरोप एवं अमेरिका इसके लिये राष्ट्रसंघ से भिन्न संगठन बनाना चाहते थे। इसके कई कारण थे –

  1. प्रथम कारण तो यह था कि अमेरिका की सीनेट ने राष्ट्रसंघ की योजना को ही अस्वीकृत कर दिया था, अतः ऐसी संस्था को अमेरिका द्वारा अब स्वीकृत करना संभव नहीं था।
  2. दूसरा कारण यह था कि राष्ट्रसंघ की परिषद ने 1939 में रूस को संघ से निष्कासित कर दिया था। रूस के लिये ऐसी संस्था में सम्मिलित होना संभव नहीं था, जिसने उसको सदस्यता से ही पृथक कर दिया हो।
  3. तीसरा कारण राष्ट्रसंघ के साथ लगी हुई बदनामी और उसके संविधान की कुछ मौलिक त्रुटियाँ थी। अतः इसका निराकरण राष्ट्रसंघ से भिन्न एक नई और अधिक शक्तिशाली संस्ता से ही संभव था। इसलिये नए विश्व संगठन के लिये प्रयत्न आरंभ हुए।

संयुक्त राष्ट्रसंघ के लिये किये गये प्रारंभिक प्रयत्न

संयुक्त राष्ट्र संघ

द्वितीय विश्व युद्ध के समय में धुरी राष्ट्रों के विरुद्ध लङने वाले राष्ट्रों ने सहयोग से काम किया। मित्र राष्ट्रों का यही सहयोग आगे चलकर संयुक्त राष्ट्रसंघ के रूप में प्रतिफलित हुआ था। किन्तु यह सब अचानक नहीं हुआ था, अपितु इसकी एक लंबी कहानी है।

इस कहानी का सूत्रपात 7 फरवरी, 1941 से होता है। अमेरिका के तात्कालिक राष्ट्रपति रूजवेल्ट ने युद्ध के बाद नए विश्व की रचना के संबंध में बताया था कि हम जिस नए संसार की स्थापना के लिये लङ रहे हैं, उस संसार की आधारशिला चार स्वतंत्रताएँ होंगी –

  1. भाषण तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
  2. धर्म एवं उपासना की स्वतंत्रता
  3. आर्थिक अभाव और निर्धनता से स्वतंत्रता
  4. भय से समझौता

इसके बाद 14 अगस्त, 1941 को प्रधानमंत्री चर्चिल और अमेरिका के राष्ट्रपति रूजवेल्ट अटलाण्टिक सागर में प्रिंस ऑफ वेल्स नामक जहाज पर मिले और उन्होंने एक घोषणा पर हस्ताक्षर किए, जिसे अटलाण्टिक चार्टर कहा जाता है।

इस घोषणा-पत्र द्वारा यह आशा व्यक्त की गयी थी कि युद्ध के बाद ऐसी शांति स्थापित हो सकेगी जब विश्व के समस्त राष्ट्र अपनी-अपनी सीमाओं में सुरक्षित रह सकें और सदैव के लिये शक्ति प्रयोग के अमानुषिक साधन समाप्त किए जा सकें।

यह घोषणा-पत्र शांति स्थापना तथा प्रभावशाली विश्व संगठन का अस्तित्व कायम करने की दशा में एक सफल प्रयत्न माना गया है।

इस दिशा में अगला प्रयत्न सम्मिलित राष्ट्रों की घोषणा थी। 1 जनवरी, 1942 को वाशिंगटन में 26 मित्र राष्ट्रों के प्रतिनिधियों ने इस घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए थे।

इसके द्वारा संपूर्ण विश्व विजय की माँग की गयी ताकि मानव अधिकारों एवं न्याय को सुरक्षित रखा जा सके। 1 दिसंबर, 1943 को तेहरान सम्मेलन में तीन प्रधान राजनीतिज्ञों – रूजवेल्ट, चर्चिल, स्टालिन ने पुनः यह घोषित किया कि हमें विश्वास है कि हमारा समझौता विश्व में चिर-शांति स्थापित करने में सफल होगा।

इसे तेहरान घोषणा कहते हैं। अक्टूबर, 1943 में रूस, इंग्लैण्ड और अमेरिका के विदेश मंत्रियों का एक सम्मेलन मास्को में हुआ। इसमें युद्ध समाप्ति की शर्तों की घोषणा की गयी और साथ ही साथ एक अन्तर्राष्ट्रीय संस्था स्थापित करने के संबंध में भी विचार किया गया।

इस पृष्ठभूमि के आधार पर यह निश्चित था कि विश्व युद्ध की ज्वाला शांत होने के बाद पुनः एक संगठन स्थापित होगा और वह राष्ट्रसंघ की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली, प्रभावशाली और सफल होगा। अब इसके लिये प्रत्यक्ष रूप से स्पष्ट प्रयत्न प्रारंभ हुए।

ये सभी प्रयत्न संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना के आरंभिक प्रयत्न मात्र थे, केन्तु अभी तक किसी ठोस योजना पर विचार नहीं किया गया था। अब परिस्थितियाँ बदल चुकी थी।

धुरी राष्ट्रों (जर्मनी, इटली एवं जापान)की पराजय नजदीक थी। इटली और जर्मनी गुटने टेक चुके थे और जापान भी शिथिल पङ गया था, अतः विश्व संगठन के निर्माण की दिशा में ठोस कदम उठाना संभव हो गया। प्रथम प्रयत्न सितंबर, 1944 में हुआ। वाशिंगटन के निकट डम्बर्टन ओक्स में रूस, अमेरिका, इंग्लैण्ड और चीन राज्यों के प्रतिनिधि एकत्र हुए।

सभी प्रतिनिधि विश्व संगठन के निर्माण के लिये अपनी-अपनी योजनाएँ लेकर आए। इन योजनाओं पर काफी विचार-विमर्श हुआ और 7 अक्टूबर, 1944 को सम्मेलन में स्वीकृत विश्व संगठन की रूपरेखा प्रकाशित की गई।

इस पर समाचार पत्रों में काफी टीका टिप्पणी की गयी। 2 अप्रैल, 1945 को सेन फ्रांसिस्को में एक विशद् सम्मेलन आमंत्रित करने का निर्णय भी लिया गया।

25 अप्रैल से 26 जून, 1945 तक सेन फ्रांसिस्को (अमेरिका) में यह सम्मेलन हुआ, जिसमें 51 राष्ट्रों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इसमें वे सभी राष्ट्र सम्मिलित थे, जिन्होंने धुरी राष्ट्रों के विरुद्ध युद्ध घोषित किया था अथवा 1 जनवरी, 1943 की घोषणा पर हस्ताक्षर किए थे।

इस सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र संविधान तथा अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय अधिनियम तैयार किया गया। 26 जनवरी को सर्वसम्मति से संयुक्त राष्ट्रसंघ संविधान स्वीकृत किया गया और समस्त प्रतिनिधियों ने इस पर हस्ताक्षर किए। 24 अक्टूबर, 1945 से यह संविधान लागू हुआ।

उसी समय से 24 अक्टूबर संयुक्त राष्ट्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। 10 जनवरी, 1946 को संयुक्त राष्ट्रसंघ की महासभा की प्रथम बैठक लंदन के प्रसिद्ध वेस्ट मिनिस्टर हॉल में हुई। इस प्रकार संयुक्त राष्ट्रसंघ अपने अस्तित्व को प्राप्त हुआ। आज संयुक्त राष्ट्रसंघ विश्व की कुल आबादी के 90 प्रतिशत से अधिक भाग का प्रतिनिधित्व कर रहा है।

मुख्यालय

संयुक्त राष्ट्र संघ का मुख्यालय

संयुक्त राष्ट्र संघ का मुख्यालय अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में पचासी लाख डॉलर के लिए खरीदी भूसंपत्ति पर स्थापित है। इस इमारत की स्थापना का प्रबंध एक अंतर्राष्ट्रीय शिल्पकारों के समूह द्वारा हुआ।

1. पुस्तक- आधुनिक विश्व का इतिहास (1500-1945ई.), लेखक - कालूराम शर्मा

Online References
wikipedia : संयुक्त राष्ट्रसंघ

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