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सेडोवा का युद्ध क्या था?

सेडोवा का युद्ध

सेडोवा का युद्ध (battle of sedova) – 3 जुलाई, 1866 ई. को आस्ट्रिया व प्रशा के मध्य सेडोवा नामक स्थान पर घमासान युद्ध हुआ। युद्ध के प्रारंभिक दौर में आस्ट्रिया की विजय निश्चित लग रही थी, परंतु इसी समय प्रशा का राजकुमार अपनी सेना लेकर आ पहुँचा और शत्रु सेना पर टूट पङा, आस्ट्रिया की पराजय हुई तथा जिन जर्मनी राज्यों ने आस्ट्रिया को सहयोग दिया था उन पर भी प्रशा ने विजय प्राप्त कर ली। इस विजय का श्रेय प्रशा के सेनापति जनरल मोल्टके को था।

हेजन के अनुसार –यह युद्ध (सेडोवा का युद्ध) इतिहास के सबसे कम अवधि के युद्धों में से एक है, जो अत्यधिक निर्णायक था तथा जिसका परिणाम सबसे चमत्कारपूर्ण था।

प्राग की संधि

सेडोवा के युद्ध में आस्ट्रिया की पराजय के बाद 23 अगस्त, 1868 ई. को प्राग की संधि हुई। इस संधि में बिस्मार्क ने आस्ट्रिया के प्रति नरम व्यवहार रखा, ताकि प्रशा को भविष्य में आस्ट्रिया की मित्रता प्राप्त हो सके। इस संधि की शर्तें निम्नलिखित थी-

  • श्लेसविग तथा होलेस्टाइन पर प्रशा का अधिकार माना गया।
  • वियना कांग्रेस द्वारा निर्मित जर्मनी परिसंघ समाप्त कर दिया गया तथा आस्ट्रिया ने जर्मनी से पृथक रहना स्वीकार कर लिया। आस्ट्रिया को 30 लाख पौण्ड युद्ध हर्जाने के रूप में देना पङा।
  • मेन नदी के उत्तर के समस्त राज्य प्रशा के नेतृत्व में उत्तरी जर्मनी परिसंघ निर्मित किया गया।
  • वेनेशिया का प्रदेश इटली को दिया गया।
  • दक्षिणी राज्यों को उनकी इच्छा पर स्वतंत्र छोङ दिया गया।

आस्ट्रिया प्रशा (सेडोवा का युद्ध) युद्ध के परिणाम

इस युद्ध के प्रमुख परिणाम निम्न लिखित हैं-

  • प्रशा के प्रभाव में वृद्धि हुई।
  • आस्ट्रिया के प्रभाव व प्रतिष्ठा में कमी आई।
  • युद्ध से पूर्व बिस्मार्क ने फ्रांस को राइन नदी के तट का प्रदेश या बेल्जियम का प्रदेश देने का अप्रत्यक्ष आश्वासन दिया था, लेकिन बाद में बिस्मार्क ने मना कर दिया, जिसके फलस्वरूप फ्रांस व प्रशा के मध्य शत्रुता का दौर प्रारंभ हुआ।
  • वेनेशिया इटली को मिलने से इटली के एकीकरण में भी सहयोग मिला।

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