दक्षिणापथ के लघु राजवंश का इतिहास
कल्याणी के पश्चिमी चालुक्यों के शासन के बाद दक्षिणापथ में कई सामंतों ने अपनी स्वतंत्रता घोषित कर दी। इनमें देवगिरि (उत्तरी-महाराष्ट्र) के यादव, द्वारसमुद्र के होयसल, कुन्तल के कदंब, मैसूर के गंग आदि विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। यहाँ पर हम इन सभी राजवंशों का विवरण आपको बतायेंगे-
चालुक्य नरेश सोमेश्वर चतुर्थ के निर्बल शासन-काल में उसका यादव सामंत भिल्लम (1187-1191ई.) अपनी स्वतंत्रता स्थापित करने वाला प्रथम महत्वाकांक्षी व्यक्ति था। उसने चालुक्य राज्य पर आक्रमण कर उसके उत्तरी जिलों पर अधिकार कर लिया…अधिक जानकारी
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होयसल यादवों की एक शाखा थे, जो अपने आप को चंद्रवंशी मानते थे। वे गंगवाडि के पश्चिम में चालुक्य नरेशों के सामंत के रूप में शासन करते थे। उनका राज्य चालुक्य तथा चोल साम्राज्यों के बीच एक मध्यस्थ राज्य था। चालुक्य नरेश सोमेश्वर तृतीय के समय में इस वंश के विष्णुवर्द्धन ने अपने को स्वतंत्र कर दिया। वह एक महत्वाकांक्षी शासक था और उसने चालुक्य राज्यों को जीत कर अपनी शक्ति का विस्तार कर दिया। 1149 ई. तक उसने धरवार के बंकापुर में अपने को सुदृढ कर लिया तथा अपनी राजधानी द्वारसमुद्र को अपने पुत्र की अधीनता में छोङ दिया। प्रारंभ में वह जैन मतानुयायी था, परंतु बाद में रामानुज के प्रभाव से वैष्णव हो गया। उसके बाद उसका पुत्र नरसिंह राजा बना। उसके समय में कलचुरि सरदार बिज्जल ने उस पर आक्रमण किया तथा बनवासी को उससे छीनकर अपने अधिकार में कर लिया। नरसिंह ने 1173ई. तक शासन किया…अधिक जानकारी
कदंब राजवंश का उत्कर्ष चोथी शता.ईस्वी के मध्य से दक्षिणापथ के दक्षिण-पश्चिम में हुआ। इस समय समुद्रगुप्त के दक्षिणापथ-अभियान के परिणामस्वरूप कांची के पल्लवों की शक्ति कमजोर हो चुकी थी।कदंब लोग मानव्यगोत्रीय ब्राह्मण थे, जो अपने को हारीति-पुत्र कहते थे…अधिक जानकारी
कदंबों तथा पल्लवों के राज्यों के बीच आधुनिक मैसूर के दक्षिण में गंगों का राज्य स्थित था। इस स्थान को गंगवंश के साथ लंबे समय तक संबद्ध रहने के कारण गंगवाडि कहा गया। गंगवंश का प्रारंभिक इतिहास अंधकारपूर्ण है। अभिलेखों में इस वंश का प्रथम शासक कोंकणिवर्मा बताया गया है…अधिक जानकारी
काकतीय लोग अपने को चोल करिकाल का वंशज मानते थे। इस वंश का पहला ज्ञात शासक बेत प्रथम था, जिसने राजेन्द्र चोल के आक्रमण से उत्पन्न अव्यवस्था का लाभ उठाकर नलगोन्ड (हैदराबाद) में अपने लिये एक स्वतंत्र राज्य स्थापित कर दिया …अधिक जानकारी
References : 1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव
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