गुप्तोत्तर काल (उत्तरगुप्त)के इतिहास की जानकारी के साधन
गुप्तों के बाद के काल को गुप्तोत्तर, परवर्ती गुप्त, उत्तरगुप्त आदि नामों से जाना जाता है। उत्तरगुप्त वंश के इतिहास को जानने के प्रमुख साधन अभिलेख हैं।
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इन अभिलेखों का विवरण निम्नलिखित है-
अफसढ का लेख
यह उत्तर गुप्तवंश के 8वें शासक आदित्यसेन के समय का है तथा बिहार प्रांत के गया जिले में स्थित अफसढ नामक स्थान से मिला है तथा इसमें इस वंश के प्रथम शासक कृष्णगुप्त से लेकर आदित्यसेन तक के समय का इतिहास वर्णित है। यह अभिलेख उत्तर गुप्त एवं मौखरी शासकों के संबंधों पर प्रकाश डालता है।
देवबर्नाक का लेख
यह लेख बिहार के शाहाबाद जिले के देवबर्नाक नामक स्थान से प्राप्त हुआ है। 1880 ईस्वी में कनिंघम ने इसका पता लगाया था। इस वंश के शासक जीवितगुप्त द्वितीय ने इसे उत्कीर्ण करवाया था। आदित्यसेन के बाद के तीन शासकों देवगुप्त, विष्णुगुप्त तथा जीवितगुप्त द्वितीय के नामो का उल्लेख मिलता है।
उत्तरगुप्त वंश की उत्पत्ति
गुप्त वंश के पतन के बाद मगध और मालवा में एक नवीन गुप्तवंश का उदय हुआ, जिसने दो शताब्दियों तक शासन किया। चक्रवर्ती गुप्तों के साथ इस नये वंश के संबंधों के विषय में पर्याप्त जानकारी प्राप्त नहीं है।
चक्रवर्ती गुप्त राजवंश से पृथक करने के लिये इस राजवंश को परवर्ती अथवा उत्तरगुप्त वंश कहा जाता है। इस वंश की स्थापना कृष्णगुप्त नामक व्यक्ति ने की थी अतः इस काल को कृष्णगुप्त वंश के नाम से भी जाना जाता है।
परवर्तीगुप्त वंश का सबसे महान शासक आदित्यसेन था।
Reference : https://www.indiaolddays.com