इतिहासगुर्जर-प्रतिहारप्राचीन भारत

गुर्जर-प्रतिहार शासक नागभट्ट द्वितीय

नागभट्ट द्वितीय (Nagabhatta II- 800-833 ईस्वी)

वत्सराज का उत्तराधिकारी उसका पुत्र नागभट्ट द्वितीय था, जिसने अपने परिवार की खोई हुई प्रतिष्ठा को पुनः प्राप्त करने का प्रयास किया। लेकिन वह अपने पूर्वज की भांति दुर्भाग्यशाली सिद्ध हुआ और उसे राष्ट्रकूट शासक गोविंद तृतीय से पराजित होना पङा। नागभट्ट द्वितीय ने दूसरी दिशाओं में अपनी तकदीर आजमाई। उसने कन्नौज पर आक्रमण कर धर्मपाल के नामजद शासक चक्रायुद्ध को पदच्युत किया तथा कन्नौज को प्रतिहार राज्य की राजधानी बनाया।

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अपने अधीनस्थ शासक की पराजय का बदला लेने के लिये धर्मपाल ने तैयारियां शुरू कर दी तथा संघर्ष अवश्यंभावी हो गया। प्रतिहार शासक ने धर्मपाल को पराजित कर मुंगेर तक अधिकार कर लिया। उसके पोते के ग्वालियर अभिलेख के अनुसार नागभट्ट द्वितीय ने अनर्त्त (उत्तरी काठियावाङ), मालवा या मध्य भारत, मत्स्य या पूर्वी राजपूताना, कीरात (हिमालय का क्षेत्र), तुरूष्क (पश्चिम भारत के अरब निवासी) तथा कौशांबी (कोसम) क्षेत्र में वत्सों को पराजित किया। नागभट्ट द्वितीय के अधीन प्रतिहार साम्राज्य की सीमा में राजपूताना के भाग, आधुनिक उत्तर प्रदेश का एक बङा भाग, मध्य भारत, उत्तरी काठियावाङ तथा आस-पास के क्षेत्र थे। नागभट्ट द्वितीय का उत्तराधिकारी उसका पुत्र रामभद्र था, जिसके तीन वर्षों के छोटे शासन काल में पाल शासक देवपाल की आक्रामक नीतियों के कारण प्रतिहारों की शक्ति पर ग्रहण लग गया।

नागभट्ट द्वितीय ने परमभट्टारक महाराजाधिराज परमेश्वर की उपाधि धारण की।

राष्ट्रकूट शासक गोविंद ने उत्तर भारत की राजनीति में हस्तक्षेप करना प्रारंभ कर दिया तथा सबसे पहले उसने अपने भाई इंद्र को गुजरात का राज्यपाल बनाया। फिर पूरी शक्ति के साथ नागभट्ट पर आक्रमण किया। नागभट्ट बुरी तरह से पराजित हुआ।

References :
1. पुस्तक- भारत का इतिहास, लेखक- के.कृष्ण रेड्डी

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