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कलिंग कहाँ स्थित है, कलिंग का युद्ध और परिणाम

अशोक ने अपने राज्याभिषेक के बाद अपने पिता एवं पितामह की दिग्विजय की नीति को जारी रखा। इस समय कलिंग का राज्य मगध साम्राज्य की प्रभुसता को चुनौती दे रहा था। अशोक का प्रारंभिक जीवन का वर्णन।

कलिंग को महापदमनंद ने जीतकर मगध साम्राज्य में मिला लिया था। चंद्रगुप्त मौर्य के समय में यह अवश्य ही मगध के अधिकार में रहा होगा। क्योंकि हम यह स्वीकार नहीं कर सकते कि चंद्रगुप्त मौर्य जैसा वीर तथा महत्वाकांक्षी शासक, जिसने यूनानियों को पराजित किया एवं नंदों की शक्ति का उन्मूलन किया, कलिंग की स्वाधीनता को सहन कर सकता । चंद्रगुप्त मौर्य का इतिहास।

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ऐसी स्थिति में यही मानना तर्कसंगत लगता है, कि बिंदुसार के शासन काल में किसी समय कलिंग ने अनपी स्वतंत्रता घोषित कर दी थी।

अशोक जैसे महत्वाकांक्षी शासक के लिये यह असह्म था। रोमिला थापर का विचार है कि कलिंग उस समय व्यापारिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण राज्य था तथा अशोक की दृष्टि उसके समृद्ध व्यापार पर थी। अतः अपने अभिषेक के आठवें वर्ष (261 ईसा पूर्व) उसने कलिंग के विरुद्ध युद्ध छेङ दिया।
बिंदुसार को किन-2 नामों से जाना जाता था?

कलिंग का प्राचीन राज्य वर्तमान दक्षिणी उङीसा में स्थित था। कलिंग युद्ध तथा उसके परिणामों के विषय में अशोक के तेरहवें अभिलेख से सूचना प्राप्त होती है। इससे स्पष्ट होता है कि यह युद्ध बङा भयंकर था, जिसमें भीषण रक्तपात तथा नरसंहार की घटनायें हुई।

अन्ततः अशोक इस राज्य को जीतकर अपने साम्राज्य में मिलाने में सफल रहा। तेरहवें शिलालेख में इस युद्ध के भयानक परिणामों का इस प्रकार उल्लेख हुआ है।

कलिंग युद्ध के परिणाम निम्नलिखित थे-

  • इसमें एक लाख 50 हजार व्यक्ति बंदी बनाकर निर्वासित कर दिये गये, एक लाख लोगों की हत्या की गयी तथा कई लोग मारे गये।
  • युद्ध में भाग न लेने वाले ब्राह्मणों, श्रमणों तथा गृहस्थियों को अपने संबंधियों के मारे जाने से बहुत कष्ट हुआ।
  • अशोक ने इस भारी नर संहार को स्वयं अपनी आँखों से देखा तो उसको बहुत दुःख हुआ।
  • इस प्रकार एक स्वतंत्र राज्य की स्वाधीनता का अंत हुआ। कलिंग मगध साम्राज्य का एक प्रांत बना लिया गया तथा राजकुल का कोई राजकुमार वहां का उपराजा (वायसराय) नियुक्त कर दिया गया। कलिंग में दो अधीनस्थ प्रशासनिक केन्द्र स्थापित किये गये – 1) उत्तरी केन्द्र (राजधानी-तोसलि) 2) दक्षिणी केन्द्र (राजधानी-जौगढ)।
  • कलिंग ने फिर कभी स्वतंत्र होने की चेष्टा नहीं की। मौर्य साम्राज्य की पूर्वी सीमा बंगाल की खाङी तक विस्तृत हो गयी। यह कलिंग युद्ध का तात्कालिक लाभ था।
  • परंतु कलिंग युद्ध की ह्रदय विदारक हिंसा एवं नरसंहार की घटनाओं ने अशोक के ह्रदय-स्थल को स्पर्श किया और उसके दूरगामी परिणाम हुये। कलिंग युद्ध पर टिप्पणी करते हुए हेमचंद्र रायचौधरी ने लिखा है, मगध तथा समस्त भारत के इतिहास में कलिंग की विजय एक महत्त्वपूर्ण घटना थी।
  • इसके बाद मौर्यों की जीतों तथा राज्य-विस्तार का वह दौर समाप्त हुआ जो बिम्बिसार द्वारा अंग राज्य को जीतने के बाद से प्रारंभ हुआ था। इसके बाद एक नये युग का सूत्रपात हुआ और यह युग था- शांति, सामाजिक प्रगति तथा धार्मिक प्रचार का। यही से सैन्य विजय तथा दिग्विजय का युग समाप्त हुआ तथा आध्यात्मिक और धम्मविजय का युग प्रारंभ हुआ।
  • इस प्रकार कलिंग युद्ध ने अशोक के ह्रदय में महान् परिवर्तन उत्पन्न कर दिया। उसका ह्रदय मानवता के प्रति दया एवं करुणा से उद्वेलित हो गया तथा उसने युद्ध कार्यों का न करने की प्रतिज्ञा की।
  • कलिंग युद्ध के बाद अशोक बौद्ध बन गया और उसने अपने साम्राज्य के सभी उपलब्ध साधनों को जनता के भौतिक एवं नैतिक कल्याण में बांट दिया। बौद्ध धर्म से संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

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