प्राचीन भारतइतिहासकुषाण वंश

कुषाण राजवंश का शासकः विम कडफिसेस

कुजुल कडफिसेस की मृत्यु के बाद विम कजफिसेस राजा हुआ। वह कडफिसेस द्वितीय के नाम से भी जाना जाता है। चीनी ग्रंथ हाऊ-हान-शू से पता चलता है, कि उसने तिएन-चू की विजय की तथा वहाँ अपने एक सेनापति को शासन करने के लिये नियुक्त किया। तिएन-चू का समीकरण सिंधु द्वारा सिंचित पंजाब क्षेत्र से स्थापित किया गया है।

इस प्रकार कहा जा सकता है,कि सर्वप्रथम विम कडफिसेस के समय में ही भारत में कुषाण सत्ता स्थापित हुई थी।

YouTube Video

विम कडफिससे ने स्वर्ण तथा ताँबे के सिक्के खुदवाये थे। उन पर यूनानी तथा खरोष्ठी दोनों लिपियों में लेख मिलते हैं। सिक्कों का विस्तार पश्चिम में आक्सस-काबुल घाटी से लेकर पूर्व में संपूर्ण सिंध क्षेत्र तक है। कुछ सिक्के भींटा, कौशांबी (प्रयाग), बक्सर तथा बसाढ (बिहार) से मिले हैं।

सिक्कों के पृष्ठभाग पर खरोष्ठी लिपि में महाराजस राजाधिराज सर्वलोगईश्वरस महिश्वरस विम कडफिसेस त्रतरस (महाराजाधिराज सर्वलोकेश्वर महेश्वर विम कडफिसेस त्राता का) उत्कीर्ण मिलता है।इससे स्पष्ट होता है, कि वह एक शक्तिशाली राजा था। सिक्कों पर शिव, नंदी तथा त्रिशूल की आकृतियाँ मिलती हैं। इससे उसका शैव मतानुयायी होना भी सूचित होता है।

उसने महेश्वर की उपाधि धारण की थी। उसके विशुद्ध स्वर्ण सोने के सिक्कों से साम्राज्य की समृद्धि सूचित होती है। प्लिनी के विवरण से पता चलता है, कि उसके समय में भारत तथा रोम के व्यापारिक संबंध अत्यंत विकसित थे। चीन के साथ भी उसका व्यापारिक संबंध था।

मथुरा के पास माट नामक स्थान से सिंहासन पर विराजमान एक विशाल मूर्ति मिली है, जिस पर महाराज राजाधिराज देवपुत्र कुषानपुत्र षाहि वेम तक्षम लेख खुदा हुआ है। काशी प्रसाद जायसवाल इस लेख के वेम की पहचान विम कडफिसेस से करते हैं।

सोटर मेगस की उपाधि -पंजाब, कंधार तथा कंबुल घाटी क्षेत्र से अनेक ऐसे सिक्के मिले हैं, जिनसे सोटर मेगस की उपाधि वाले किसी अज्ञातनामा शासक के अस्तित्व का पता चलता है। इस शासक की पहचान सुनिश्चित नहीं है। कुछ विद्वान इसे विम कडफिसेस ही मानते हैं।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

Related Articles

error: Content is protected !!