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राजा राममोहन राय का ब्रिटिश शासन के प्रति दृष्टिकोण

राजा राममोहन राय

राजा राममोहन राय (Raja Ram Mohan Roy) –

राजा राममोहन राय को अपनी मातृभूमि से गहरा प्रेम था। वे देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत थे। अपने देश के करोङों अशिक्षित एवं गरीब लोगों के प्रति उनकी सहानुभूति थी। वे अपने देश की स्थिति को अच्छी तरह समझते थे। वे पाश्चात्य सभ्यता और संस्कृति के सहारे से अपने देश को आधुनिक बनाना चाहते थे, परंतु अंग्रेजी शासन को भारत में स्थायी बनाये रखने की उनकी कोई कामना नहीं थी।

राजा राममोहन राय

उस समय अंग्रेजों या अंग्रेजी शासन के प्रति कोई सशस्त्र विद्रोह की संभावना व उपयुक्त अवसर भी नहीं था, अतः वे भारतीय जनमत को अपने देश भारत के प्रति शिक्षित करने में लगे रहे। इसी प्रकार से उन्होंने अपने देशवासियों में राजनीतिक चेतना जागृत की।

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राजा राममोहन राय ने हर प्रकार से अपने देशवासियों का हौंसला बढाने की कोशिश की। अपने देशवासियों के लिए स्वतंत्रता की माँग करके उन्होंने अपने को एक देशभक्त के रूप में प्रदर्शित किया।

सन 1831 से 1833 तक जबकि वे इंग्लैण्ड में रहे, राजा राममोहन राय ने ब्रिटिश भारत में प्रशासनिक प्रणाली में सुधार करने के लिए आंदोलन किया। इस प्रकार वो ब्रिटिश सरकार से सहयोग लेकर भारतीय जनमत को शिक्षित करके भारत को स्वतंत्र देखना चाहते थे।

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