प्राचीन भारतइतिहास

रुद्रदामन का जूनागढ़ अभिलेख कहाँ स्थित है

रुद्रदमन का गिरनार शिलालेख पश्चिमी छत्रप नरेश रुद्रदमन द्वारा लिखवाया गया शिलालेख है। यह शिलालेख गिरनार पर्वतों पर है जो जूनागढ़ के निकट स्थित है।

यह शिलालेख शक् संवत् 72 (150-151 ई.) का है, शक शासक रुद्रदमन का है।इस शिलालेख में महाक्षत्रप रुद्रदमन द्वारा सुदर्शन झील की मरम्मत आदि विवरण हैं। शुरू में इस झील का निर्माण चंद्रगुप्त मौर्य के अधिकारी पुष्यगुप्त ने करवाया था। बाद में अशोक के शासन में इसमें और सुधार किया गया। यवन राजा तुशाष्य ने इस झील से नहर निकलवायी। यह झील उर्जयत (गिरनार) में उर्जयत पहाड़ी से निकले सुवर्णसिकता और पालसिनी झरनों के पानी को जमा करके बनाई गई थी।

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चंद्रगुप्त मौर्य का इतिहास

150-151 ई. से थोड़ा पहले उर्जयत पहाड़ी के सुवर्णसिकता, पालसिनी और दूसरे झरनों में बाढ़ के कारण तटबंधों में दरार पड़ गई और सुदर्शन झील समाप्त हो गई। बांध को फिर से बनाने का काम राजा रुद्रदमन के पल्लव मंत्री सुविसाख ने किया। सुविसाख की नियुक्ति सुवर्ण और सौराष्ट्र प्रांतों का शासन चलाने के लिए की गई थी।

शिलालेख से कई बातों की जानकारी सामने आती है। झील के पानी का उपयोग राजा तुशाष्य द्वारा खुदवाई गई नहरों से सिंचाई के लिए होता था। चार शताब्दी बाद उसकी मरम्मत एक पहलव या पल्लव सामंत ने करवाई। दोनों ही काम विदेशियों ने किए। इस तरह यह शिलालेख केवल बांध ही नहीं, झील का भी एक रिकॉर्ड है। इससे पता चलता है कि ई.पू. चौथी शताब्दी में भी लोग बांध, झील और सिंचाई प्रणाली का निर्माण जानते थे।

तीन सौ साल बाद मरम्मत आदि का काम पूरा होने पर 455-456 ई. में सुदर्शन झील भारी बरसात के कारण फिर टूट गई। 456 ई. में चक्रपालित के आदेश पर इस विशाल दरार की मरम्मत करके तटबंधों को दो महीने में दुरुस्त किया गया। सम्राट स्कंदगुप्त (455-467 ई.) के काल के जूनागढ़ के एक शिलालेख से पता चलता है कि चक्रपालित ने सुदर्शन झील के तटबंध की मरम्मत करवाई।

  • यह अभिलेख संस्कृत भाषा में लिखा गया पहला वृहद या विस्तृत अभिलेख है।
  • इस अभिलेख में शक शासक रुद्रदामन की उपलब्धियों का वर्णन है।
  • इस अभिलेख के अनुसार रुद्रदामन ने सातवाहन शाुसक वशिष्ठीपुत्त पुलुमावि को पराजित किया तथा अपनी पुत्री से विवाह करवाया।
  • इस अभिलेख से जानकारी मिलती है, कि चंद्रगुप्त मौर्य के समय सौराष्ट्र क्षेत्र में पुष्यगुप्त ने सुदर्शन झील का निर्माण करवाया और अशोक के समय योनराज योनराजतुषास्य ने इस झील की मरम्मत करवायी। रुद्रदामन के समय उसके अधिकारी सुविशाख ने इस झील की पुनः मरम्मत करवायी।
  • पता चलता है, कि रुद्रदामन ने झील की मरम्मत करवाने के लिये अपनी प्रजा से बेगार (विष्टी) करवायी थी। पहली बार बेगार अभिलेखीय साक्ष्य जूनागढ है। इसी में बेगार शब्द का उल्लेक पहली बार हुआ है।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

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