प्राचीन भारतइतिहाससातवाहन वंश

सातवाहन शासक गौतमी पुत्र शातकर्णी

गौतमी पुत्र शातकर्णी (106-130 ई.) सातवाहन वंश का 23 वां शासक था। यह सातवाहन शासकों में सबसे महान शासक था। इसका पिता शिवस्वाति एवं माता गौतमी बलश्री थे। गौतमी पुत्र शातकर्णी ने शासकों के नाम के साथ अपनी माताओं के नाम का उल्लेख करना प्रारंभ किया।

गौतमी पुत्र शातकर्णी के समय को सातवाहनों का पुनरुद्धार का काल कहा गया है। सातवाहनों ने इसके काल में पुनः अपनी खोई हुई शक्ति एवं प्रतिष्ठा प्राप्त की।

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गौतमी पुत्र शातकर्णी के तीन अभिलेख प्राप्त हुए हैं – दो नासिक से तथा एक कार्ले से। नासिक का पहला लेख उसके शासन काल के 18 वें तथा दूसरा 24 वें वर्ष का है। कार्ले का लेख भी उसके शासन काल के 18 वें वर्ष का ही है।इन अभिलेखों के अलावा गौतमी पुत्र शातकर्णी के सिक्के भी प्राप्त हुए हैं।

गौतमी पुत्र ने “एकमात्र ब्राह्मण”, “वर-वरण विक्रम”, “चारु विक्रम”, “वेणाकटक स्वामी” जैसी उपलब्धियाँ धारण की।

गौतमी पुत्र शातकर्णी ने नासिक के समीप वेणाकटक नगर बसाया। इसकी उपलब्धियों का वर्णन गौतमी बलश्री के नासिक अभिलेख में मिलता है।

गौतमीपुत्र शातकर्णी ने शक शासक नहपान को पराजित किया। इसकी पुष्टि नासिक के समीप जोगलथंबी से प्राप्त चाँदी के सिक्कों से होती है। जिन्हें पुनः ढाला गया है, और जिनके एक तरफ नहपान का और दूसरी तरफ गौतमी पुत्र शातकर्णी का नाम मिलता है।

नासिक अभिलेख में गौतमीपुत्र दावा करता है, कि उसके घोङे दो समुद्रों का पानी पिते हैं। ( बंगाल से लेकर अरब सागर तक विस्तार था।)

धार्मिक नीति-

गौतमी पुत्र शातकर्णी ब्राह्मण धर्म का अनुयायी था, लेकिन उसने अन्य धर्मों को भी संरक्षण दिया, इसने बौद्ध भिक्षुओं को अजकालकीम(महाराष्ट्र) तथा करजक (महाराष्ट्र) जैसे क्षेत्र प्रदान किये।

गौतमी पुत्र शातकर्णी को नासिक प्रशस्ति में “वेदों का आश्रय” (आगमाननिलय) तथा “अद्वितीय ब्राह्मण” (एकब्राह्मण) कहा गया है।

उसे “द्विजों” तथा “द्विजे – तर” जातियों के कुलों का वर्धन करने वाला ( द्विजावरकुटुब विवधन ) कहा गया है।

शासन प्रबंध-

गैतमीपुत्र शातकर्णी के शासन काल की तीथि के बारे में मतभेद हैं। नहपान के जुन्नार लेख से पता चलता है, कि वह 124 ई. में महाराष्ट्र पर शासन कर रहा था। गौतमीपुत्र के नासिक अभिलेख से पता चलता है कि उसने अपने राज्यारोहण के 18 वें वर्ष नहपान से महाराष्ट्र को जीता था। अतः उसका राज्यारोहण 124-18 = 106 ईस्वी के लगभग हुआ होगा। गौतमीपुत्र शातकर्णी के शासन के 24 वें वर्ष का दूसरा लेख नासिक से मिला है, जिससे स्पष्ट होता है, कि उसने कम से कम 24 वर्षों तक शासन किया होगा। अतः हम उसका शासन काल 106 ई. से 130 ई. तक मान सकते हैं।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

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