राष्ट्रकूट
- दिसम्बर- 2019 -16 दिसम्बरइतिहास
परमार वंश के राजनैतिक इतिहास का वर्णन
परमार वंश की स्थापना 10 वीं शता. ईस्वी के प्रथम चरण में उपेन्द्र अथवा कृष्णराज नामक व्यक्ति ने की थी।…
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परमार वंश के शासक वाक्पति मुंज का इतिहास
प्रबंधचिंतामणि में उसके जन्म के विषय में एक अनोखी कथा मिलती है। इस कथा के अनुसार सीयक को बहुत दिन…
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स्वतंत्र परमार साम्राज्य की स्थापना : हर्ष अथवा सीयक द्वितीय (945 – 972 ईस्वी)
इस समय प्रतिहार साम्राज्य पतन की अवस्था में था। इस स्थिति का लाभ उठाते हुये सीयक ने मालवा तथा गुजरात…
Read More » - नवम्बर- 2019 -24 नवम्बरइतिहास
राठौङ शासक गोविन्दचंद्र की उपलब्धियां
उसने कन्नौज के प्राचीन गौरव को पुनः स्थापित करने का प्रयास किया। इस उद्देश्य से उसने कई स्थानों की विजय…
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गुर्जर-प्रतिहार शासक महेन्द्रपाल द्वितीय तथा प्रतिहार साम्राज्य का पतन
महेन्द्रपाल द्वितीय के बाद 960 ईस्वी तक प्रतिहार वंश में चार शासक हुये - देवपाल (948-49 ईस्वी), विनायकपाल द्वितीय (953-54…
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गुर्जर-प्रतिहार शासक महीपाल
महेन्द्रपाल के बाद कुछ समय के लिये भोज द्वितीय ने शासन किया। किन्तु दो वर्षों बाद ही उसका सौतेला भाई…
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गुर्जर-प्रतिहार शासक नागभट्ट द्वितीय
नागभट्ट द्वितीय ने दूसरी दिशाओं में अपनी तकदीर आजमाई। उसने कन्नौज पर आक्रमण कर धर्मपाल के नामजद शासक चक्रायुद्ध को…
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गुर्जर-प्रतिहार शासक वत्सराज का इतिहास
गुर्जर- प्रतिहार वंश का चौथा शासक वत्सराज था।वत्सराज को गुर्जर-प्रतिहार वंश का वास्तविक संस्थापक माना जाता है।
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राजपूत राजवंश : राजपूतों की उत्पत्ति संबंधि विविध मत
राजपूत बङे ही वीर तथा स्वाभिमानी होते थे और साहस, त्याग, देश-भक्ति आदे के गुण उनमें कूट-कूटकर भरे हुये थे।…
Read More » - 8 नवम्बरइतिहास
राष्ट्रकूट शासकों का इतिहास में योगदान
दांतिदुर्ग ने अपना जीवन चालुक्यों के सामंत के रूप में प्रारंभ किया था। उसने एक दीर्घकालीन राज्य की नींव रखी।…
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