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अमेरिका की क्रांति की घटनाएँ

अमेरिका की क्रांति की घटनाएँ

अमेरिका की स्वतंत्रता की घोषणा – जार्ज तृतीय ने उपनिवेशों के विद्रोह को सैनिक शक्ति से दबा देने का निश्चय किया, परंतु जब उसे इंग्लैण्ड में नई सेना की भर्ती के लिये अधिक व्यक्ति न मिले तो उसने हैसे, अन्लहाट और ब्रुन्सविक के राजाओं से 20,000 जर्मन सैनिक किराए पर मँगाकर अमेरिका में अपनी सैन्य शक्ति को बढा दिया। उधर अमेरिकी सेनाओं ने विभिन्न भागों में लङाई शुरू कर दी।

बॉस्टन में उन्होंने बंकर हिल पर अधिकार कर लिया। कनाडा पर भी आक्रमण किया गया, परंतु बाद में उपनिवेशियों को वहां से पराजित होकर वापस लौटना पङा। परंतु नारफोक, वर्जीनिया, चार्लेस्टन और दक्षिणी कैरोलाइना में ब्रिटिश सेनाओं को पराजित होना पङा।

अमेरिका की क्रांति के कारण

इस बीच सैमुअल एडम्स, पैट्रिक हैनरी और टॉमस पेन जैसे देशभक्त युद्ध कार्य को बढावा देते रहे, क्योंकि बहुत से अमेरिकी अभी भी इंग्लैण्ड के पक्ष में थे। अंत में कांग्रेस भी दृढतापूर्वक इंग्लैण्ड से पृथक होने के पक्ष में हो गई और 4 जुलाई, 1776 ई. को स्वतंत्रता का घोषणा-पत्र स्वीकार कर लिया गया।

अमेरिकन स्वतंत्रता का जन्म उसी दिन से माना जाता है। घोषणा पत्र में कहा गया है, कि – हम इन सत्यों को स्वयंसिद्ध मानते हैं, कि सभी मनुष्य समान पैदा हुए हैं, कि उनके सृष्टा ने उनको कुछ अविच्छिन्न अधिकारों से सम्पन्न किया है, कि उन्हें जीवन, स्वतंत्रता और सुख की खोज के अधिकार भी हैं। इन अधिकारों की प्राप्ति के लिये ही मानव समाज में शासन की स्थापना होती है और उनको न्यायोचित अधिकार शासितों की स्वीकृति से मिलता है।

जब किसी प्रकार का शासन तंत्र इन उद्देश्यों पर कुठाराघात करता है, तो जनता को यह अधिकार है कि वह उसे बदल दे अथवा उसे समाप्त कर दे और एक नई सरकार स्थापित करे, जिसकी आधारशिला ऐसे सिद्धांतों पर हो और शक्ति का संगठन इस प्रकार किया जाए, जिससे उन्हें ऐसी आशा हो कि उनको सुरक्षा और सुख की प्राप्ति होगी। स्वतंत्रता की घोषणा ने अमेरिकी उपनिवेशों को ब्रिटेन के शासन से पृथक कर दिया और अमेरिकी लोगों में व्यक्तिगत स्वतंत्रता, स्वशासन तथा समाज में प्रतिष्ठित स्थान प्राप्त करने के लिये अदम्य शाहस पैदा कर दिया।

इंग्लैण्ड ने भी इस विद्रोह को दबाने में कोई कसर नहीं रखी, परंतु छः वर्ष के निरंतर युद्ध के बाद उसे झुकना पङा और स्वतंत्रता को मान्यता देनी पङी।

मुख्य लङाइयाँ

स्वतंत्रता की घोषणा के बाद कई महीनों तक अमेरिकियों को कई असफलताओं का सामना करना पङा। वाशिंगटन ने अंग्रेजी जनरल “हो” और उसके 11,000 सैनिकों को बॉस्टन से तो भगा दिया, परंतु जब वह न्यूयार्क के महत्त्वपूर्ण स्थान पर अधिकार करने के लिये पुनः अंग्रेजी सेना के मुकाबले में आया तो हालात बदल गए। अंग्रेजी और जर्मन सेनाओं ने अमेरिकी सेनाओं को अधिक सहायता न दी। तेरह नए राज्यों में एकता अभी बहुत दूर थी।

लांग आईलैण्ड के युद्ध में वाशिंगटन की स्थिति संकटमय हो गई और उसने ब्रुकलिन से छोटी-छोटी नावों द्वारा मैनहैटन तट तक पीछे हटने का कार्य बङी निपुणता से पूरा किया। विपरीत दिशा की हवा के कारण ब्रिटिश जहाज ऊपर की ओर न जा सके। इससे वाशिंगटन बच गया। 1776 ई. के अंतिम दिनों में वाशिंगटन ने अपूर्व युद्ध कौशल का परिचय देते हुये ट्रेण्टन के युद्ध में ब्रिटिश सेना को परास्त किया। इसके बाद प्रिन्सटन के युद्ध में पुनः अंग्रेजों की पराजय हुई। इन विजयों से अमेरिकी सैनिकों में नया जोश पैदा हो गया।

1777 ई. के प्रारंभ में अमेरिकियों की स्थिति पुनः संकटमय हो गयी। जनरल हो की सेनाएँ न्यूयार्क से समृद्ध के रास्ते फिलाडेल्फिया जा पहुँची और उन्होंने अमेरिकी की नई राजधानी पर अधिकार कर लिया। कांग्रेस के सदस्य भाग गए। वाशिंगटन और उसके सैनिकों को शहर के बाहर वैलीफोर्ज में जाङे के दिन गुजारने पङे।

सैनिकों के पास न तो पर्याप्त सामग्री थी और न सुरक्षित आश्रय। इस बार भी जनरल भी जनरल हो ने अपना आक्रमण जारी न रखकर अमेरिकियों को कुचलने का अवसर खो दिया। वैसे अधिकांश इतिहासकारों की मान्यता है, कि जनरल हो की राजनीतिक सहानुभूति अमेरिकी लोगों के साथ थी।

1777 ई. के आखिरी महीनों में अमेरिकियों का भाग्य प्रबल रहा। साराटोगा के प्रसिद्ध युद्ध में अंग्रेजों को अपमानजनक पराजय का मुख देखना पङा। हुआ यह कि इंग्लैण्ड ने न्यूयार्क राज्य पर कब्जा जमाकर अमेरिका को दो भागों में बाँटने की योजना बनाई। न्यूयार्क पर एक साथ तीन दिशाओं से आक्रमण की बात सोची गयी। तीनों सेनाओं को न्यूयार्क से 150 मील उत्तर को हडसन नदी की घाटी में अल्बानी नामक स्थान पर मिलना था।

जनरल जॉन-बरगोइन को कनाडा से दक्षिण की ओर आना था, जनरल हो को न्यूयार्क से उत्तर को सेनाएँ भेजनी थी और जनरल सैण्ट लेजर को पूर्व की ओर बढना था। यह सारी योजना बूरी तरह से असफल हुई। सैण्ट लेजर को पश्चिमी वनों में अमेरिकियों ने रोके रखा और हो की सेना पहुँची ही नहीं।

जनरल बरगोइन अपने 6000 सैनिकों के साथ हडसन नदी के ऊपरी भाग तक पहुँच गया। वह सितंबर के मध्य तक अन्य सेनाओं की प्रतीक्षा करता रहा। बेनेडिक्ट आर्नल्ड के नेतृत्व में लगभग 20,000 अमिरिकी किसानों और सैनिकों ने बरगोइन को साराटोगा की तरफ खदेङकर चारों तरफ से घेर लिया।

17 अक्टूबर, 1777 ई. को बरगोइन को आत्म-समर्पण करना पङा। इससे इंग्लैण्ड की प्रतिष्ठा को गहरा धक्का लगा। युद्ध के इस निर्णायक प्रहार ने इंग्लैण्ड के पुराने शत्रुओं – फ्रांस और स्पेन को अमेरिका के पक्ष में कर दिया। और ये दोनों राष्ट्र अब अमेरिका निवासियों को आर्थिक एवं सैनिक सहायता देने लगे।

इससे पूर्व बैंजामिन फ्रेंकलिन की अपील पर इन देशों से अमेरिकियों को थोङी बहुत युद्ध सामग्री मिल पायी थी और फ्रांस के माकुई-द-लफायते, जर्मनी के बैरन फान फान यूबन और बैरन फान कल्प तथा पोलैण्ड के काउण्ट फलास्की जैसे दक्ष सैनिक अधिकारियों ने अपनी सेनाएँ भेंट की थी। इन लोगों ने उपनिवेशी रंगरूटों को अनुशासन के साथ-साथ प्रशिक्षण भी दिया, क्योंकि इसकी अत्यन्त आवश्यकता थी।

साराटोगा की लङाई के बाद बैंजामिन फ्रेंकलिन ने फ्रांस से समझौता करने में सफलता प्राप्त कर ली। इसके अनुसार दोनों देशों ने उस समय तक युद्ध में एक-दूसरे का साथ देने का वचन दिया जब तक कि उनमें से एक सुलह के लिये तैयार न हो जाये। इसके बाद स्पेन और हालैण्ड ने अमेरिका को उनकी उद्देश्य प्राप्ति में अपनी जल सेना से सहायता दी।

फ्रांस से उधार सामग्री और सैनिक मिल गए, परंतु उसकी सबसे बङी देन फ्रांस का शक्तिशाली समुद्री बेङा था, जो इंग्लैण्ड के बाद अन्य यूरोपीय देशों में श्रेष्ठ था। फ्रांसीसी समुद्री बेङे ने अंग्रेजों की सेना के लिये सामान, और सैनिक भेजना कठिनतर बना दिया और ब्रिटिश वाणिज्य को गंभीर हानि पहुँचाने में फ्रांसीसियों ने अमेरिकी अवरोधकारी जहाजों का साथ दिया। 1778 ई. में फ्रांसीसी बेङे की कार्यवाही से घबराकर अंग्रेजों ने फिलाडेल्फिया खाली कर दिया।

उसी वर्ष ओहायो की घाटी में उन्हें कई पराजयों का सामना करना पङा, जिसके परिणामस्वरूप उत्तर-पश्चिम में उनका नियंत्रण एवं प्रभाव समाप्त हो गया, परंतु उन्होंने दक्षिण में युद्ध जारी रखा। ब्रिटेन ने जनरल क्लिण्टन और जनरल कार्नवालिस के अधीन एक सेना भेजी जो इन राज्यों को अमेरिकी पक्ष से विमुख करे। ब्रिटिश सेनाओं ने सवाना और चार्लेस्टन के बङे बंदरगाहों पर अधिकार कर लिया।

क्रांति की अंतिम लङाई वर्जीनिया में यार्क टाउन के स्थान पर हुई। फ्रांसीसी बेङे की सहायता से वाशिंगटन और रोशाम्बी के 15,000 सैनिकों ने लार्ड कार्न वालिस के 8,000 सैनिकों को चारों तरफ से घेर लिया। यद्यपि कार्न वालिस ने घेरा तोङने के लिये कई बार बङी वीरता से आक्रमण किए, परंतु उसके सभी प्रयास विफल रहे और अंत में 19 अक्टूबर, 1781 को उसने आत्म-समर्पण कर दिया। जब इंग्लैण्ड के प्रधानमंत्री लार्ड नार्थ को इसकी सूचना मिली तो अनायास ही उसके मुँह से निकला, हे ईश्वर। सब कुछ समाप्त हो गया।

1. पुस्तक- आधुनिक विश्व का इतिहास (1500-1945ई.), लेखक - कालूराम शर्मा

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