इतिहासप्राचीन भारतहूण

हूण आक्रमण के भारत पर क्या प्रभाव पङे

हूणों के आक्रमण का भारतीय जन जीवन पर गहरा प्रभाव पङा। हूणों के आक्रमण ने पतनोन्मुख गुप्त साम्राज्य को गहरा आघात पहुँचाया था। हूणों की नृशंसता तथा लूटपाट से भारतीय जन जीवन तथा अर्थव्यवस्था को काफी हानि उठानी पङी थी। भारतीय क्षेत्र से उनके हटने के बाद शताब्दियों तक राजनैतिक एकता तथा आर्थिक सुरक्षा स्थापित नहीं की जा सकी।हूणों के द्वारा अधिगृहीत क्षेत्र कुछ समय के लिये अराजकता एवं अव्यवस्था में डूब गया।उनके आक्रमणों के परिणामस्वरूप पंजाब की गणजातियों का अस्तित्व भी सदा के लिये समाप्त हो गया।

हूणों के आक्रमण का भारतीय समाज पर प्रभाव

हूणों के आक्रमण का भारतीय समाज पर भी प्रभाव पङा। जाति प्रथा से बोझिल हिन्दू समाज की जङें हिल उठी तथा उससे ढाँचे में कई महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुए। कालांतर में हूण हिन्दू समाज में घुल-मिल गये तथा उन्होंने यहाँ के वंशों में वैवाहिक संबंध स्थापित कर लिये थे। टाड ने तो इस मत का प्रतिपादन किया है, कि भारतीय राजपूतों की उत्पति हूणों से ही हुई।

आर्थिक दशा पर प्रभाव-

हूण आक्रमणों का भारत की आर्थिक दशा पर बुरा प्रभाव पङा। देश की आर्थिक दशा बिगङ गयी। स्कंदगुप्त तथा उसके उत्तराधिकारियों के सिक्कों में धातु की गिरावट से पता चलता है, कि उस समय में आर्थिक दशा बिगङ चुकी थी।

स्कंदगुप्त के बाद तो स्वर्ण सिक्कों के निर्माण की परंपरा समाप्त हो गयी। अपने द्वारा जीते गये प्रदेशों के आधार पर हूणों ने विविध प्रकार के सिक्के चलाये। अफगानिस्तान एवं पश्चिमोत्तर के कुछ भागों में ससैनियन सिक्कों के अनुकरण पर सिक्के चलवाये गये थे। वे चांदी तथा तांबे के हैं, तथा इनकी कई निधियां गुजरात, राजस्थान आदि में मिली हैं भारतीय परंपरा में इन्हें गधैया या गधिया कहा जाता है। इनके पुरोभाग पर ससानी अनुकरण वाले शासक का उर्ध्व भाग तथा पृष्टतल पर अग्निवेदिका मिलती है। इस प्रकार के सिक्के तेरहवीं शती तक मिलते हैं। इनका प्रसार दक्षिण तक दिखाई देता है, जो वहां व्यापारियों द्वारा पहुँचाये गये थे।

धार्मिक अत्याचार

हूणों ने नगरों को ध्वस्त किया तथा बौद्ध मठों को लूटा। ये संस्कृति तथा सम्पत्ति के केन्द्र थे।

व्यापार वाणिज्य को आघात

इस आक्रमण से आर्थिक पतन की गति और तेज हो गयी। हूणों के मध्य एशिया के साथ भारत के व्यापार-वाणिज्य को भी क्षति पहुँचाई। व्यापारिक मार्ग अशांतपूर्ण हो गये तथा बंद कर दिये गये। मध्य एशिया के साथ व्यापार बंद हो जाने के बाद भारतीय व्यापारी दक्षिण-पूर्व एशिया की ओर उन्मुख हुए।

समुद्री मार्ग से होने वाला व्यापार प्रभावित हुआ। कास्मस नामक विद्वान सोपारा, कल्याण, भङौंच आदि बंदरगाहों का उल्लेख नहीं करता। आंतरिक व्यापार भी प्रभावित हुआ। व्यापार-वाणिज्य में सिक्कों का महत्त्व जाता रहा तथा उनमें सस्ती धातुओं की मिलावट होने लगी।

कला एवं साहित्य को आघात

हूणों के आक्रमण ने भारतीय साहित्य तथा कला को भी गहरा आघात पहुँचाया। मिहिरकुल के काल में तक्षशिला, कौशांबी, नालंदा, पाटलिपुत्र जैसे प्राचीन नगर या तो ध्वस्त कर दिये गये या उन्हें भारी क्षति पहुँचाई गयी।

बौद्ध विहार तथा स्तूप भी जला दिये गये। चीनी स्रोतों के अनुसार मिहिरकुल ने केवल गंधार प्रदेश में 1600 स्तूपों तथा संघारामों को नष्ट कर दिया था।

Reference : https://www.indiaolddays.com

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