इतिहासदक्षिण भारतप्राचीन भारतसंगम युग

मणिमेकलै का लेखक कौन था

शिल्पादिकारम के कुछ समय बाद मणिमेकलै नामक ग्रंथ की रचना हुई तथा इस पर शिल्पादिकारम का ही प्रभाव दिखाई देता है। इसकी रचना मदुरा के व्यापारी सीतलैसत्तनार ने की थी, जो एक बौद्ध था।यह ग्रंथ आधुनिक तमिल साहित्य के पाँच महाकाव्यों में से एक है। इस महाकाव्य की नायिका मणिमेकलै, कोवलन् (शिल्पादिकारम के नायक) की प्रेमिका नर्तकी माधवी से उत्पन्न पुत्री है। माधवी अपने पूर्व प्रेमी की मृत्यु का समाचार सुनकर बौद्ध भिक्षुणी बन जाती है। राजकुमार उदयकुमारन मणिमेकलै से प्रेम करता है तथा उसे प्राप्त करने का प्रयत्न करता है। किन्तु मणिमेकलै चमत्कारिक ढंग से अपने सतीत्व को बचा लेती है। अन्ततः वह भी अपनी माता के समान बौद्धधर्म का आलिंगन कर भिक्षुणी बन जाती है।

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मणिमेकलै ग्रंथ को “तमिल भाषा की ओडिशी” भी कहा जाता है।

इस ग्रंथ की कहानी दार्शनिक एवं शास्त्रार्थ संबंधी बातों के लिये बनाई गयी है। इसका महत्व मुख्यतः धार्मिक है। इसमें तर्कशास्त्र की भ्रांतियों की लंबी व्याख्या है। इस ग्रंथ की अधिकांश कवितायें हिन्दू तथा अन्य धर्मविरुद्ध संप्रदाय वालों के बीच वाद-विवाद और दूसरे धर्मानुयायियों के मतों के खंडन-मंडन संबंधी विचारों से परिपूर्ण हैं। इस प्रकार मणिमेकलै का महत्त्व शिल्पादिकारम जैसा नहीं है।

References :
1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव 

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