परमार
- दिसम्बर- 2019 -27 दिसम्बरइतिहास
कलचुरि शासक कर्ण अथवा लक्ष्मीकर्ण (1041-1070)का इतिहास
कलचुरि शासक गांगेयदेव के बाद उसका पुत्र कर्णदेव अथवा लक्ष्मीकर्ण शासक बना। वह अपने वंश का सर्वाधिक शक्तिशाली राजा था।…
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त्रिपुरी का कलचुरि-चेदि राजवंश के इतिहास के साधन
चंदेल राज्य के दक्षिण में चेदि के कलचुरियों का राज्य स्थित था। उसकी राजधानी त्रिपुरी में थी, जिसकी पहचान मध्य…
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चंदेल शासक मदनवर्मा का इतिहास
मऊलेख से पता चलता है, कि मदनवर्मा ने ही चेदि तथा परमार राजाओं को परास्त किया तथा काशी के राजा…
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परमार भोज के उत्तराधिकारी तथा परमार सत्ता का अंत
नरवर्मा का उत्तराधिकारी उसका पुत्र यशोवर्मा (1133-1142 ईस्वी) हुआ। उसके समय चालुक्यों के आक्रमण के कारण मालवा की स्थिति काफी…
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परमार शासक भोज की सांस्कृतिक उपलब्धियाँ
भोज स्वयं विद्वान था तथा उसकी उपाधि कविराज की थी। उसने ज्योतिष, काव्य शास्र, वास्तु आदि विषयों पर महत्त्वपूर्ण ग्रंथों…
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मालवा के परमार शासक भोज का इतिहास
उदयपुर प्रशस्ति से हमें भोज की राजनैतिक उपलब्धियों के बारे में सूचना प्राप्त होती है। इस प्रशस्ति के अनुसार भोज…
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परमार राजा भोज के द्वारा किये गये युद्ध एवं विजयें
भोज का सर्वप्रथम संघर्ष कल्याणी के चालुक्यों के साथ हुआ। प्रारंभ में उसे सफलता मिली। तथा गोदावरी नदी के आस-पासका…
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चौहान शासक विग्रहराज तृतीय का इतिहास
चौहान शासक दुर्लभराज तृतीय के बाद उसका भाई विग्रहराज तृतीय शासक बना। उसके समय में परमारों के साथ चौहानों की…
Read More » - नवम्बर- 2019 -21 नवम्बरइतिहास
गुर्जर-प्रतिहार शासक महेन्द्रपाल द्वितीय तथा प्रतिहार साम्राज्य का पतन
महेन्द्रपाल द्वितीय के बाद 960 ईस्वी तक प्रतिहार वंश में चार शासक हुये - देवपाल (948-49 ईस्वी), विनायकपाल द्वितीय (953-54…
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गुर्जर-प्रतिहार शासक महीपाल
महेन्द्रपाल के बाद कुछ समय के लिये भोज द्वितीय ने शासन किया। किन्तु दो वर्षों बाद ही उसका सौतेला भाई…
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