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बक्सर का युद्ध के परिणाम क्या थे?

बक्सर का युद्ध के परिणाम

बक्सर का युद्ध के परिणाम (baksar ka yuddh ke parinaam)

बक्सर का युद्ध के परिणाम – बक्सर का युद्ध भी भारतीय इतिहास का एक मोङ बन्दु था। इस युद्ध में अँग्रेजों की निर्णायक विजय हुई। एक दृष्टि से इसका महत्त्व प्लासी से भी अधिक है। इससे अँग्रेजों की प्रतिष्ठा और प्रभाव में आशातीत वृद्धि हुई। मुगल सम्राट शाहआलम और उसका वजीर नवाब शुजाउद्दौला – दोनों परास्त होकर अँग्रेजों की दया पर निर्भर हो गये। प्लासी में तो क्लाइव के षङयंत्र के कारण बिना लङे ही अँग्रेजों को विजय प्राप्त हो गयी।

बक्सर का युद्ध के परिणाम

परंतु बक्सर के मैदान पर अनुभवी सेनानायक शुजाउद्दौला जिसके पास अंग्रेजों की तुलना में पाँच गुना सेना थी और एक श्रेष्ठ तोपखाना भी था, उसको परास्त होना पङा। इससे अँग्रेजों की सैनिक श्रेष्ठता प्रमाणित हो गयी और भारतीय शासकों की सैनिक शक्ति का खोखलापन स्पष्ट हो गया। प्लासी के युद्ध में केवल एक नवाब के भाग्य का फैसला हुआ था और विजय के परिणामस्वरूप केवल बंगाल के लाभकारी स्त्रोतों पर कंपनी का अधिकार हुआ था।

परंतु बक्सर के युद्ध में तीन प्रमुख व्यक्तियों – मुगल सम्राट शाहआलम, अवध के नवाब शुजाउद्दौला और मीर कासिम के भाग्य का फैसला हो गया और विजय के फलस्वरूप संपूर्ण अवध सूबे पर भी अँग्रेजों का नियंत्रण हो गया। अवध के नियंत्रण से अँग्रेजों के लिए उत्तरी भारत में साम्राज्य-स्थापना का कार्य सरल हो गया, क्योंकि इसके बाद अवध के किसी नवाब ने अँग्रेजों का सामना करने का साहस नहीं किया। इस युद्ध का संपूर्ण भारत पर प्रभाव पङा।

अब ईस्ट इंडिया कंपनी एक अखिल भारतीय शक्ति बन गयी। प्लासी में उसने बंगाल की सेना को परास्त किया था, परंतु बक्सर में उसने उत्तरी भारत की श्रेष्ठ सेना को परास्त किया और बाद में अवध तथा मराठों की संयुक्त सेना को परास्त किया। उसकी शानदार सैनिक सफलताओं से भारतीय राजनीति में उसका सम्मान तथा भय बढ गया।

अब उसका प्रभाव-क्षेत्र बंगाल से दिल्ली तक विस्तृत हो गया। इसीलिए यह कहा जाता है कि बक्सर के युद्ध ने प्लासी के अधूरे कार्य को पूरा किया। ब्रूम ने ठीक ही लिखा है कि, इस प्रकार बक्सर का प्रसिद्ध युद्ध समाप्त हुआ, जिस पर भारत का भाग्य निर्भर था और जो जितनी बहादुरी से लङा गया था, परिणामों की दृष्टि से उतना ही महत्त्वपूर्ण था। अब बंगाल का नवाब कंपनी के हाथों की कठपुतली था। अवध का नवाब उस पर निर्भर रहने वाला समर्थक मित्र और मुगल सम्राट उसका पेन्शनर था।

बक्सर के युद्ध का महत्त्व और परिणाम

बंगाल पर अंग्रेजों का प्रभुत्व स्थापित

आधुनिक भारत के इतिहास में बक्सर के युद्ध का अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान है। इस युद्ध में अँग्रेजों की निर्णायक विजय हुई। अतः कई दृष्टियों से बक्सर का युद्ध प्लासी के युद्ध से भी अधिक महत्त्वपूर्ण है। यह युद्ध भारत के निर्णायक युद्धों में गिना जाता है। बक्सर के युद्ध के परिणामस्वरूप बंगाल पर अंग्रेजों का प्रभुत्व स्थापित हो गया। अब अंग्रेज बंगाल के वास्तविक शासक बन गए। अब बंगाल कानूनी तौर पर अंग्रेजों के अधिकार में आ गया।

बंगाल का नवाब केवल अंग्रेजों के हाथों की कठपुतली मात्र था तथा बंगाल के शासन की वास्तविक सत्ता अंग्रेजों के हाथों में थी। रेम्जेम्यूर का कथन है कि, बक्सर के युद्ध ने अंत में अंग्रेजी कंपनी के शासन की बेङियों को बंगाल पर जकङ दिया।

अवध के नवाब पर अंग्रेजों का प्रभाव स्थापित हो

बक्सर के युद्ध के परिणामस्वरूप अवध के नवाब एवं मुगल सम्राट पर भी अंग्रेजी कंपनी का प्रभाव स्थापित हो गया। 1765 की इलाहाबाद की संधि के अनुसार अवध के प्रांत पर कंपनी का नियंत्रण हो गया।

इस संधि के परिणामस्वरूप अवध के नवाब शुजाउद्दौला को निम्नलिखित शर्तें स्वीकार करनी पङी-

  • अवध के नवाब शुजाउद्दौला से कङा और इलाहाबाद के जिले छीन लिए गए तथा ये दोनों जिले मुगल सम्राट को दे दिये गए। अवध का प्रांत शुजाउद्दौला को लौटा दिया गया।
  • शुजाउद्दौला ने अंग्रेजों को युद्ध की क्षतिपूर्ति के लिए 50 लाख रुपये देना स्वीकार कर लिया।
  • नवाब ने कंपनी को अवध में कर-मुक्त व्यापार करने की सुविधा प्रदान की।
  • अंग्रेजों ने नवाब को सैनिक सहायता देना स्वीकार कर लिया परंतु उसे ही अंग्रेज सेना का खर्चा वहन करना पङेगा।
  • डॉ. जगन्नाथ मिश्र का कथन है कि, अवध के साथ संघर्ष हमेशा के लिए समाप्त हो गया क्योंकि इसके बाद अवध के किसी भी नवाब ने अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध करने की हिम्मत नहीं की। बक्सर के युद्ध से अवध पर अंग्रेजों का प्रभाव बढता ही गया।
  • मुगल सम्राट पर कंपनी का प्रभुत्व स्थापित होना

बक्सर के युद्ध के परिणामस्वरूप मुगल सम्राट पर भी कंपनी का प्रभुत्व स्थापित हो गया। अब वह कंपनी का पेन्शनर बन गया।

1765 की इलाहाबाद की संधि के अनुसार मुगल सम्राट शाहआलम को निम्नलिखित शर्तें स्वीकार करनी पङी-

  • अवध के नवाब शुजाउद्दौला से कङा और इलाहाबाद के जिलों को लेकर मुगल सम्राट को दे दिए गए।
  • अंग्रेजों ने मुगल सम्राटों को 26 लाख रुपये वार्षिक पेन्शन देना स्वीकार कर लिया।
  • मुगल सम्राट ने अंग्रेजों को बंगाल, बिहार तथा उङीसा की दीवानी सौंप दी।

अंग्रेजी कंपनी की प्रतिष्ठा में वृद्धि

बक्सर के युद्ध के परिणामस्वरूप अंग्रेजी कंपनी की शक्ति तथा प्रतिष्ठा में अत्यधिक वृद्धि हुई। बक्सर की विजय से अंग्रेजों के लिए उत्तरी भारत में साम्राज्य स्थापित करना सरल हो गया। इस युद्ध के फलस्वरूप केवल बंगाल पर ही नहीं बल्कि अवध के नवाब तथा मुगल सम्राट पर भी कंपनी का प्रभुत्व स्थापित हो गया। अब ईस्ट इंडिया कंपनी एक अखिल भारतीय शक्ति बन गयी। अब अंग्रेजों के प्रभाव क्षेत्र का विस्तार बंगाल से दिल्ली तक हो गया। अब भारत में ब्रिटिश शासन की नींव मजबूत हो गयी। पी.ई.राबर्ट्स का कथन है कि, प्लासी की अपेक्षा बक्सर से भारत में अंग्रेजी प्रभुता की जन्म-भूमि मानना कहीं अधिक उपयुक्त है।

सर जेम्स स्टीफन का कथन है कि, बक्सर के युद्ध का प्लासी के युद्ध से बहुत अधिक महत्त्व है क्योंकि यहीं से भारत में ब्रिटिश शक्ति का प्रादुर्भाव हुआ। माइकल एडवर्ड्स का कथन है कि, भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की वास्तविक नींव की स्थापना बक्सर से ही हुई थी। इस युद्ध के फलस्वरूप अंग्रेजी कंपनी अब व्यापारियों की कंपनी मात्र न रह गयी बल्कि वह एक बङी सुदृढ राजनीतिक शक्ति बन गयी।

अंग्रेजों की सैनिक श्रेष्ठता सिद्ध होना

सैनिक दृष्टि से भी बक्सर का युद्ध बङा महत्त्वपूर्ण था। प्लासी के युद्ध में अंग्रेजों ने छल-कपट के बल पर विजय प्राप्त की थी, परंतु बक्सर का युद्ध एक पूर्ण सैनिक युद्ध था। इस युद्ध में अंग्रेजों ने मीर कासिम, अवध के नवाब शुजाउद्दौला तथा मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय की सम्मिलित सेनाओं को बुरी तरह से पराजित कर अपने युद्ध-कौशल एवं उत्कृष्ट सैन्य-शक्ति का प्रदर्शन किया। इस युद्ध ने अंग्रेजों की सैनिक श्रेष्ठता सिद्ध कर दी तथा भारतीय शासकों की सैनिक शक्ति की दुर्बलता प्रकट कर दी।

संपूर्ण भारत पर प्रभाव

बक्सर के युद्ध का संपूर्ण भारत पर प्रभाव पङा। उत्तर भारत की शक्तिशाली सेनाओं पर विजय से अंग्रेजों को राजनीतिक और सैनिक प्रभाव बढाने में मदद मिली। भारत में शक्ति संघर्ष की दिशा में एक नया परिवर्तन हुआ और अंग्रेजों की महत्वाकांक्षाओं में वृद्धि हुई।

प्लासी के कार्य को पूरा करना

बक्सर के युद्ध ने प्लासी के कार्य को पूरा किया। अंग्रेज बंगाल में ब्रिटिश शासन की स्थापना करना चाहते थे। बंगाल में ब्रिटिश शासन स्थापित करने की प्रक्रिया प्लासी के युद्ध ने शुरू की थी जिसे परिणति पर पहुँचाने का श्रेय बक्सर के युद्ध को है। प्लासी के युद्ध के द्वारा अंग्रेजों ने केवल बंगाल में अपने पांव जमाये थे, परंतु बक्सर के युद्ध ने अँग्रेजों को बंगाल का वास्तविक शासक बना दिया। मुगल सम्राट ने कंपनी को बंगाल, बिहार, उङीसा की दीवानी सौंप दी। परिणामस्वरूप बंगाल पर वैधानिक रूप से अंग्रेजों का अधिकार स्थापित हो गया। अतः अंग्रेजों ने जिस उद्देश्य से प्लासी का युद्ध लङा था, उसकी पूर्ति वास्तव में बक्सर के युद्ध से ही हुई ।

डॉ.वी.ए.स्मिथ का कथन है कि, बक्सर की विजय ने जो पूर्णतया निर्णयात्मक थी, प्लासी के कार्य को पूरा कर दिया।

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