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चोल शासक कुलोत्तुंग प्रथम(1070-1120ई.)का इतिहास

कुलोत्तुंग प्रथम पूर्वी चालुक्य नरेश राजराज का पुत्र था, किन्तु उसमें चोल रक्त का भी मिश्रण था। उसकी माता राजेन्द्र चोल की कन्या थी। उसका स्वयं का विवाह कोप्पम युद्ध के विजेता राजेन्द्र द्वितीय की पुत्री से हुआ था। कुलोत्तुंग प्रथम ने अपने विद्रोहियों को दबाकर अपनी स्थिति सुदृढ कर ली थी। वह अपने समय का एक शक्तिशाली शासक सिद्ध हुआ। उसने पश्चिमी चालुक्य नरेश विक्रमादित्य षष्ठ को नंगिलि में पराजित कर गङ्गवाडि पर अधिकार जमा लिया । इसी बीच (1072-73ई.)त्रिपुरी के हैहय शासक यश कर्ण ने उसके वेंगी राज्य पर आक्रमण किया, किन्तु इसका कोई परिणाम नहीं निकल पाया। परंतु सिंहल के राजा विजयबाहु ने कुलोत्तुंग के विरुद्ध अपनी स्वतंत्रता घोषित कर दी। दोनों के बीच संधि हो गयी तथा कुलोत्तुंग ने अपनी एक पुत्री का विवाह सिंहल राजकुमार के साथ कर दिया।

कुलोत्तुंग को पाण्ड्य तथा केरल राजाओं से भी विद्रोहों का सामना करना पङा। वह एक शक्तिशाली सेना के साथ दक्षिणी अभियान पर गया जहाँ कई बार युद्धों में उसने पाण्ड्य और केरल के राजकुमारों को परास्त कर उन्हें अपनी अधीनता में रहने के लिये बाध्य किया। परंतु इन प्रदेशों का प्रशासन उसने स्थानीय शासकों के हाथों में छोङ दिया। 1077ई. में 72 सौदागरों का एक चोल दूत मंडल चीन गया। 1088 ई. के सुमात्रा से प्राप्त एक तमिल लेख से पता चलता है, कि श्रीविजय में तमिल सौदागरों की एक श्रेणी निवास करती थी।

वेंगी के विजयादित्य सप्तम की मृत्यु के बाद कुलोत्तुंग ने अपने पुत्रों को वहाँ वायसराय के रूप में शासन करने को भेजा। 1110 ई. के लगभग कलिंग राज्य में विद्रोह हुआ। कुलोत्तुंग ने अपने सेनापति करुणाकर तोण्डैमान के नेतृत्व में एक सेना वहाँ भेजी। कलिंग नरेश अनन्तवर्मन पराजित हुआ तथा उसने भागकर जान बचायी। चोल सेना अपने साथ लूट का अतुल धन लेकर लौटी।

1015 ई. तक कुलोत्तुंग प्रथम अपने साम्राज्य को सुरक्षित बनाये रखने में समर्थ रहा। केवल सिंहल का राज्य ही उसके साम्राज्य के बाहर था। परंतु उसके शासनकाल के अंत में मैसूर एवं वेंगी में विद्रोह उठ खङे हुये। 1018 ई.में विक्रमादित्य षष्ठ ने वेंगी पर अधिकार कर लिया तथा इसी समय होयसलों ने मैसूर से चोल सेना को बाहर खदेङ कर वहाँ अपनी स्वतंत्रता घोषित कर दी। इस प्रकार कुलोत्तुंग प्रथम के शासन काल में तमिल प्रदेश तथा कुछ तेलगू क्षेत्र ही बच गये थे।

कुलोत्तुंग प्रथम चोल वंश का महान शासक था। चोल लेखों में कुलोत्तुंग प्रथम को शुङ्गम तविर्त्त (करों को हटाने वाला) कहा गया है। 1120 ई. में उसकी मृत्यु हो गयी थी।

References :
1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव 

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