इतिहासमध्यकालीन भारतविदेशी यात्री

फादर एन्थोनी मोंसेरात कौन था | Father Anthony Monserrat

फादर एन्थोनी मोंसेरात – फादर मोंसेरात, पुर्तगीज यात्री था जो फादर एक्वाविवा के साथ 1578 ई. में अकबर के दरबार में आया। यह अकबर के दरबार में आने वाले पहले इसाई मिशन में सम्मिलित था। अपने यात्रा विवरण में उसने 1580-82 ई. तक के काल में अकबर के दरबार का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया है। अकबर ने फादर मोंसेरात को शाहजादा मुराद का शिक्षक नियुक्त किया था। उसके अनुसार शहजादों और शहजादियों की शिक्षा का बहुत ध्यान दिया जाता था।

भारत यात्रा के दौरान मोंसेरात कई शहरों का भ्रमण किया जिसमें माण्डू, सूरत, नरवर, सिरोंज, ग्वालियर, दिल्ली, सोनीपत व लाहौर आदि का उसने विस्तार पूर्वक वर्णन किया है। इन शहरों में उसने लाहौर शहर का अत्यंत सजीव वर्णन किया है। मोंसेरात अकबर के काबुल अभियान के सयम उसके साथ था। उसके अनुसार अस्वस्थ हो जाने के कारण बादशाह जलालाबाद से आगे नहीं जा सका और अपनी सेना के साथ लौट आया तथा लाहौर में घेरा डाला। इसी समय मोंसेरात को मुगल सेना और छावनी की आँखों देखी जानकारी पाने का अवसर मिला। उसने बादशाह के सैनिक लश्कर का भी वर्णन किया है।

बादशाह और उसके दरबार के अलावा मोंसेरात ने सामान्य लोगों के कार्यशैली व उनके रहन-सहन व धार्मिक रीति रिवाजों का भी वर्णन किया है। उसने बलनायी संप्रदाय का जो विवरण प्रस्तुत किया है वह अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। उसके अनुसार स्वयं अकबर नंगे पाँव और खुले बाल इस संप्रदाय के प्रमुख संत के दर्शन करने गया था। तत्कालीन समय में प्रचलित सती प्रथा का वर्णन करते हुए उसने लिखा है कि – स्त्रियों को जलन से दर्द न महसूस हो इसके लिए नशीली गोली दी जाती थी और होश में आने पर उसे जबरदस्ती जला दिया जाता था। उसने मान्डू के रथसप्तमी उत्सव और होली तथा मुहर्रम का उल्लेख किया है। उसके अनुसार पादशाह, शाहजादे और अमीरों के अलग-अलग बाजार थे जिन्हें उर्दू कहा जाता था।

References :
1. पुस्तक - मध्यकालीन भारत, लेखक- एस.के.पाण्डे 

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