अशोक के लघु स्तंभ-लेख(Minor Pillar Edicts)
अशोक की राजकीय घोषणायें जिन स्तंभों पर उत्कीर्ण हैं, उन्हें साधारण तौर से लघु स्तंभ-लेख कहा जाता है।
अशोक के वृहद शिलालेख और उसके विषय क्या – क्या थे?
लघु स्तंभ-लेख निम्नलिखित स्थानों से मिलते हैं-
- सांची (रायसेन जिला, मध्यप्रदेश)
- सारनाथ (वाराणसी, उत्तर प्रदेश)
- कौशांबी (इलाहाबाद के समीप)
- रुम्मिनदेई (नेपाल की तराई में स्थित)
- निग्गलीवा (निगाली सागर) – यह नेपाल की तराई में स्थित है।
अशोक के लघु अभिलेख कौन-2 से हैं?
साँची-सारनाथ के लघु स्तंभ-लेख में अशोक अपने महामात्रों को संघ-भेद रोकने का आदेश देता है।
कौशांबी तथा प्रयाग के स्तंभों में अशोक को रानी करुवाकी द्वारा दान दिये जाने का उल्लेख है। इसे रानी का अभिलेख भी कहा जाता है।
लघु स्तंभ लेखों में रुम्मिनदेई प्रज्ञापन कई दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण है। इस लेख की खोज फ्यूरर ने की तथा जार्ज ब्यूलर ने इसे अनुवाद सहित इपिग्राफिया इंडिका के पांचवें खंड में प्रकाशित किया। इसके अनुसार अपने अभिषिक के 20 वर्ष बाद देवताओं का प्रिय राजा प्रियदर्शी स्वयं यहां आया तथा उसने पूजा की। क्योंकि यहां शाक्यमुनि बुद्ध का जन्म हुआ था। अतः उसने वहां बहुत बङी पत्थर की दीवार बनवाई तथा एक स्तंभ स्थापित किया। क्योंकि यहां बुद्ध का जन्म हुआ था, अतः लुंबिनी गांव का धार्मिक कर (बलि) माफ कर दिया गया। तथा भाग नामक कर 1/6 से घटाकर 1/8 भाग कर दिया गया।
अशोक के वृहद अभिलेख कौन-2 से हैं?
निग्लीवा के लेख में कनकमुनि के स्तूप के संवर्द्धन की चर्चा हुई है। लुम्बिनि लेख में बुद्ध को शाक्यमुनि कहा गया है। पालि साहित्य तथा भरहुत लेखों में शाक्यमुनि के अतिरिक्त पांच पूर्व बुद्धों का उल्लेख मिलता है – विपसि (विपश्यिन), वेसभुणा (विश्व भू), ककुसध, क्रकच्छंद तथा कोनागमन (कनकमुनि)। अशोक के पहले से ही इनके सम्मान में स्तूप निर्माण की परंपरा थी। अशोक को सात स्तंभ-लेख।
Reference : https://www.indiaolddays.com/