प्राचीन भारतअशोकइतिहासमौर्य साम्राज्य
मौर्य सम्राट अशोक के लघु शिलालेख
लघु शिलालेख 14 शिलालेखों के मुख्य वर्ग में सम्मिलित नहीं हैं और इस कारण इन्हें लघु शिलालेख कहा गया है। ये निम्नलिखित स्थानों से प्राप्त हुये हैं-14 वृहद शिलालेख कौन-2 से हैं?
- रूपनाथ (मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में स्थित)
- गुर्जरा (मध्य प्रदेश के दतिया जिले में स्थित)
- सहसाराम (बिहार में स्थित)
- भाब्रू (वैराट) (राजस्थान के जयपुर जिले में स्थित)-यह अभिलेख ब्राह्मणों को संबोधित करता है। इसमें अशोक ने स्वयं को मगधाधिराज कहा है।अशोक ने बुद्ध, संघ, धम्म में आस्था व्यक्त की है। (बौद्ध मतानुयायी था) कनिंघम द्वारा इसे शोध के लिए कलकत्ता म्यूजियम ले जाया गया।
- मास्की (कर्नाटक के राजयचूर जिले में स्थित)
- ब्रह्मगिरि (कर्नाटक के चित्तलदुर्ग जिले में स्थित)
- सिद्धपुर (ब्रह्मगिरि के एक मील पश्चिम में स्थित)
- जटिंगरामेश्वर (ब्रह्मगिरि के तीन मील उत्तर-पश्चिम में स्थित)
- एर्रगुडि (आंध्र के कर्नूल जिले में स्थित)
- गोविमठ (मैसूर के कोपबल नामक स्थान के समीप स्थित)
- राजुल मंडगिरि (आंध्र के कर्नूल जिले में स्थित)
- अहरौरा (उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में स्थित)
- कंधार का द्विभाषी अभिलेख – यह 2 भाषाओं में (अरामाइक, यूनानी)में लिखा गया है। अशोक की धम्म नीति के कारण इस क्षेत्र के मछुआरों, आखेटकों ने अपना पेशा बदल दिया था।अशोक की धम्म नीति क्या थी?
- निगाली सागर अभिलेख- अशोक के शासन के 14 वें वर्ष (269 ई.पू.) में इस क्षेत्र का दौरा किया तथा कनक मुनि (बुद्ध) के स्तूप को 2 गुना बङा कराया (बौद्ध अनुयायी)
- रुम्मिनदेई(नेपाल) अभिलेख- अशोक के शासन के 20 वें वर्ष इस क्षेत्र का दौरा किया गया और इस स्थान की पवित्रता को ध्यान रखते हुए इस क्षेत्र पर से बलि नामक कर हटाया गया तथा भाग नामक कर 1/6 से घटाकर 1/8 कर दिया गया। (करारोपण प्रणाली)
- सुवर्णगिरि स्तंभ अभिलेख- रज्जुक (जिले का अधिकारी) नामक अधिकारी की चर्चा।
- रानी का अभिलेख (कोशांबी) स्री धम्म महामात्र अधिकारी का उल्लेख।तथा अशोक की प्रधान रानी के रूप में करूवाकी का उल्लेख है, जो तीवर की माँ थी।
YouTube Video
सारो मारो (शहडोल, मध्य प्रदेश), पनगुडरिया (सिहोर, मध्य प्रदेश) तथा नेत्तुर और उडेगोलम् (बेलाङी, कर्नाटक) नामक स्थानों से लघु शिलालेख की दो अन्य प्रतियाँ प्राप्त हुई हैं। एक अन्य लेख उडेगोलम् (बेलाङी, कर्नाटक) से मिला है, के गुलबर्गा जिले में स्थित सन्नाती नामक स्थान से अशोक-कालीन शिलालेख प्राप्त किया गया है।
मास्की, गुर्जरा, नेत्तुर तथा उडेगोलम् के लेखों में अशोक का व्यक्तिगत नाम(अशोक) मिलता है।इन अभिलेखों में अशोक की उपाधि नहीं मिलती है।
Reference : https://www.indiaolddays.com/