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बिस्मार्क की रक्त और लोहे की नीति

रक्त और लोहे की नीति

बिस्मार्क की रक्त और लोहे की नीति (blood and iron policy)-

इस नीति का अर्थ था शत्रुओं के प्रति क्रूर होना, तलवारों का प्रयोग, कठोरता और सख्ती, और खून बहाना। इसने दुश्मनों को आतंकित करने और उन पर हिंसा लागू करने के सभी प्रकार के तरीकों के इस्तेमाल की अनुमति दी।

बिस्मार्क की रक्त और लोहे की नीति (rakt aur lohe kee neeti) – बिस्मार्क प्रशा के नेतृत्व में सैन्य शक्ति के आधार पर जर्मनी का एकीकरण करना चाहता था। पूर्व में बजट संबंधी विषय को लेकर सम्राट विलियम ओर संसद के बीच तनाव उत्पन्न हुआ था। पुनः इसी विषय पर बिस्मार्क व संसद में तनाव हुआ।

बिस्मार्क की रक्त और लोहे की नीति

बिस्मार्क ने राष्ट्रहित में निम्न सदन की अवहेलना कर उच्च सदन से बजट पास करवाने का असंवैधानिक निर्णय लिया। 1862 ई. से 1866 ई. तक उच्च सदन से बजट पास करवाता रहा। इस कार्य में विलियम का भी उसे पूर्ण सहयोग प्राप्त होता रहा। यद्यपि इस प्रक्रिया में बिस्मार्क को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पङा, लेकिन बिस्मार्क ने दृढ निश्चय के बल पर प्रशा की सेना का पुनर्गठन कर इसे यूरोप की सर्वश्रेष्ठ सेना बना दिया।

इस समय अन्तर्राष्ट्रीय परिस्थितियां भी बिस्मार्क के अनुकूल थी अतः उसने अब आस्ट्रिया को निर्बल बनाने का अगला कदम उठाया।

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