इटली का एकीकरणइतिहासविश्व का इतिहास

मेजिनी का उदय कब हुआ

मेजिनी का उदय

मेजिनी का उदय (1820-72) – इटली का एकीकरण के पूर्व इटली एक “भौगोलिक अभिव्यक्ति” मात्र था। वह अनेक छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित था। राज्यों में मतभेद था और सभी अपने स्वार्थ में लिप्त थे। एकीकरण के मार्ग में अनेक बाधाएँ थीं।लेकिन इटली के कुछ प्रगतिवादी लोगों ने एकता की दिशा में कदम उठाया। इटली के एकीकरण में आर्थिक तत्त्वों की भूमिका महत्त्वपूर्ण थी। इटली के एकीकरण में सबसे अधिक योगदान रेलवे के विकास था।

इटली में राष्ट्रीय आन्दोलन चलाने के लिए अनेक गुप्त समितियों का संगठन किया गया। इन गुप्त समितियों में कार्बोनरी प्रमुख था। इसके नेतृत्व में 1831 ई. तक इटली का एकता-आन्दोलन चलता रहा। 

मेजिनी को इटली के राष्ट्रीय आन्दोलन का पैगम्बर कहा जाता है। उसने “युवा इटली” नामक संस्था की स्थापना की। इसके सदस्यों ने मजदूरों और गाँवों तथा नगरों के लोगों के बीच चेतना फैलायी।1848 ई. की क्रांति का प्रभाव भी इटली पर पड़ा था।

प्रथम विश्व युद्ध

मेजिनी
मेजिनी (1820-72 ई.)

इटली में इस समय इटली के देशभक्त अधिक सचेत होकर और अधिक सूझ-बूझ से तैयारियाँ करने लगे। इसी समय इटली के राजनैतिक रंगमंच पर ज्यूसप मेजिनी का प्रादुर्भाव हुआ, जिसने राष्ट्रीय आंदोलन में एक नई जान फूँक दी।

मेजिनी, जिनोआ के एक चिकित्सा शास्री का पुत्र था। बचपन से ही उसमें देशभक्ति की भावना कूट-कूटकर भरी हुई थी तथा उसके मन में इटली को स्वतंत्र कराने की प्रबल भावना थी। 1820 की क्रांति के पहले वह कार्बोनरी संस्था का सदस्य था, तथा 1830 ई. के विद्रोह में भाग लिया था। विद्रोह के दमन के बाद उसे कैद कर लिया गया तथा लगभग एक वर्ष तक वह जेल में रहा।

मेजिनी द्वारा युवा इटली की स्थापना

कारावास से मुक्त होने पर उसे देश से निर्वासित कर दिया गया। 1831 ई. में वह फ्रांस के मार्सेल्स नगर में पहुँचा और वहीं पर 1831 में उसने युवा इटली नामक संस्था की स्थापना की। इस संस्था ने शीघ्र ही कार्बोनरी संस्था का स्थान ग्रहण कर लिया। इस संस्था की सदस्यता के लिये 40 वर्ष से कम उम्र का कोई भी नवयुवक प्रवेश के लिये योग्य था। इसका ध्येय युवकों को शिक्षित और अनुशासित बनाकर देश सेवा के लिये तैयार करना था।

मेजिनी का विश्वास था, कि इटली के युवकों में देश गौरव और प्रेम की भावना भरकर उन्हें स्वतंत्रता प्राप्ते के लिये संगठित किया जाना चाहिये। उसने कहा था कि, यदि समाज में क्रांति लाना हो तो क्रांति का नेतृत्व युवकों के हाथ में दे दो। नवयुवकों में एक गुप्त शक्ति है तथा जनता पर उनकी आवाज का असर जादू के समान होता है। मेजिनी ने युवा इटली के माध्यम से इटली की जनता को तीन नारे दिये- परमात्मा में विश्वास रखो, सभी भाइयों को एक साथ मिलाएँ तथा इटली को मुक्त करें।

मेजिनी

मेजिनी के उद्देश्य स्पष्ट थे, तथा इटली के एकीकरण का चित्र जितना स्पष्ट और निश्चित उसके दिमाग में था, संभवतः किसी और के दिमाग में नहीं था। उसने अपने देशवासियों को इटली के एकीकरण का चित्र समझाने के लिये इतनी लगन से काम किया, मानो वह किसी धर्म का प्रचार कर रहा हो। युवा इटली ने अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिये शिक्षा, साहित्यिक प्रचार तथा यदि आवश्यक हो तो सशस्र क्रांति का सहारा लिया।

मेजिनी की लेखनी ने इटली की जनता में जन-जीवन का संचार कर दिया। मेजिनी के पास शीघ्र ही देशभक्त नवयुवक एकत्रित हो गये। इस प्रकार, इटली के एकीकरण को जन आंदोलन में परिवर्तित करने का श्रेय युवा इटली को ही है। उसने राष्ट्र गौरव की भावना, बलिदान करने का साहस, राष्ट्रीय एकता की चेतना तथा दृढ विश्वास उत्पन्न किया।

मेजिनी के प्रयत्नों के फलस्वरूप युवा इटली की जगह-जगह शाखाएँ खुलने लगी। 1833 के आरंभ में युवा इटली के सदस्यों की संख्या 60 हजार हो गयी। युवा इटली के माध्यम से राष्ट्रीय स्वाधीनता के लिये इटली में एक शक्तिशाली जनमत का निर्माण हो गया।

1. पुस्तक- आधुनिक विश्व का इतिहास (1500-1945ई.), लेखक - कालूराम शर्मा

Online References
Wikipedia : जापान में कृषि सुधार

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