1911 की चीनी क्रांतिइतिहासविश्व का इतिहास

1911 की क्रांति की घटनाएँ

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1911 की क्रांति की घटनाएँ

1911 की क्रांति की आग तुरंत ही संपूर्ण चीन में फैल गई। दक्षिण में तो शांतुंग प्रान्त ने अपनी स्वतंत्रता की घोषणा कर दी, हालाँकि वह शीघ्र ही पुनः केन्द्रीय शासन के अन्तर्गत आ गया। यांग्त्सी घाटी के उत्तर में शांसी प्रांत को छोङकर, सैनिक केन्द्रीय शासन के प्रति निष्ठावान प्रतीत हो रहा था, एक सुनियोजित क्रांति नहीं।

इसका प्रमुख कारण यह था कि क्रांतिकारियों के गुट केवल स्थानीय स्तर पर बनाए गए थे, राष्ट्रीय स्तर पर नहीं तथा उनकी योजनाएँ भी स्थानीय स्तर पर बनी थी। मूल नेतृत्व वूचांग में केन्द्रित था, लेकिन स्थानीय गुटों पर इसका कोई नियंत्रण नहीं था। अन्त में क्रांति को सुनियोजित ढंग से संचालन करने के लिये स्वतंत्र प्रांतों से अपने-अपने प्रतिनिधि वूचांग भेजने का प्रयत्न किया गया।

लेकिन स्थानीय गुटों पर उसका कोई नियंत्रण नहीं था। अंत में क्रांति को सुनियोजित ढंग से संचालन करने के लिये स्वतंत्र प्रांतों से अपने-अपने प्रतिनिधि वूचांग भेजने का अनुरोध किया गया, ताकि एक क्रांति-परिषद की स्थापना की जा सके। एक प्रतिज्ञा -पत्र भी तैयार किया गया, जो बाद में गणतंत्र के अस्थायी संविधान के आधार रूप में स्वीकृत किया गया था।

1911 की क्रांति की घटनाएँ

इसी बीच क्रांति की ज्वाला शंघाई तक पहुँच गई और वहाँ सैनिक शासन स्थापित कर दिया गया। शंघाई की सैनिक सरकार ने अपने आपको समस्त क्रांतिकारियों का प्रतिनिधि होने की घोषणा कर दी। इस सरकार ने विदेशियों से तटस्थ रहने की अपील की और धमकी दी कि यदि मंचू सरकार पराजित हुई तो केन्द्रीय सरकार को दिए गये ऋण वैध नहीं माने जाएँगे। चीन में स्थिति की गंभीरता एवं नाजुकता देखते हुए विदेशियों ने तटस्थ रहना ही उचित समझा।

पीकिंग में संवैधानिक सरकार

क्रांति की घटनाओं से पीकिंग में घबराहट फैल गई। मंचू सरकार ने युआन-शीह -काई को हूपेह और हूनान का गवर्नर नियुक्त किया। यूआन ने इन शर्तों पर यह पद स्वीकार किया कि अगले वर्ष संसद की बैठक बुलाई जाएगी, उत्तरदायी मंत्रिमंडल का गठन किया जाएगा, क्रांतिकारी दल को मान्यता प्रदान की जाएगी तथा उसे सेना के पुनर्गठन का पूरा अधिकार दिया जाएगा।

27 अक्टूबर को युआन को सभी सेनाओं का उच्चाधिकारी नियुक्त कर दिया गया। इसी बीच 22 अक्टूबर को केन्द्रीय विधानसभा की बैठक बुलाई गई। केन्द्रीय विधानसभा ने माँग की कि उन सभी पदाधिकारियों को पदच्युत कर दिया जाय जो विदेशियों के समर्थक हैं। मंचू शासक को विवश होकर ऐसा करना पङा। यह चीन के लोकमत की भारी विजय थी।

उसके बाद विधानसभा ने माँग की कि देश का शासन वैधानिक ढंग से चलाने के लिये मंत्रिमंडल का गठन किया जाय तथा जिन देशभक्तों को बंदी बना लिया गया है अथवा देश से निर्वासित कर दिया गया है, उन्हें क्षमा प्रदान कर दी जाय। मंचू सम्राट के समक्ष इन माँगों को स्वीकार करने के अलावा कोी अन्य चारा नहीं था।

इस समय सबसे गंभीर समस्या प्रांतों के विद्रोह की थी। इस समय ऐसे योग्य व्यक्ति की आवश्यकता थी, जो अव्यवस्था और विद्रोह को समाप्त कर देश में शांति स्थापित कर सके। यह उत्तरदायित्व युआन-शीह-काई को सौंप दिया गया। 1 नवम्बर, 1911 को उसे प्रधानमंत्री के पद पर नियुक्त कर दिया गया। इसी बीच विधानसभा ने 19 धाराओं का संविधान तैयार कर लिया, जिसके अनुसार चीन में वैधानिक राजतंत्र स्थापित करना था।

1911 की क्रांति की घटनाएँ

उधर क्रांतिकारी भी चुपचाप बैठने वाले नहीं थे। जिस समय क्रांति का सूत्रपात हुआ था उस समय इस क्रांति का रूप अलग-अलग विद्रोहों का था, जिनमें कोई आपसी समन्वय नहीं था। नवम्बर, 1911 में उन्हें एक केन्द्रीय संगठन के अन्तर्गत लाने का प्रयास किया गया।

15 नवम्बर को शंघाई में प्रांतों की क्रांतिकारी सरकारों के प्रतिनिधियों का एक सम्मेलन हुआ, जिसमें चीनी गणतंत्र की केन्द्रीय सरकार की स्थापना की गयी और इसका मुख्यालय वूचांग रखा गया। ली युआन वुंग को इसका अध्यक्ष चुना गया। 20 नवंबर को सभी प्रतिनिधि वूचांग रवाना हुए, किन्तु पीकिंग सरकार की सैनिक कार्यवाही के कारण वे वूचांग तो नहीं पहुँच सके,किन्तु 30 नवम्बर को हांको में मिले और वहाँ संघीय संविधान की रूपरेखा तैयार की गयी।

युआन-शीह-काई को गणराज्य का राष्ट्रपति नियुक्त करने का निश्चय किया गया। 4 दिसंबर को क्रांतिकारी सेना ने नानकिंग पर अधिकार कर लिया, जो अस्थायी सरकार की राजनधानी बन गई।

जिस समय चीन में क्रांति का विस्फोट हुआ था उस समय डॉ. सन-यात-सेन अमेरिका में था। 24 दिसंबर, को वह शंघाई पहुँचा जहाँ सभी क्रांतिकारियों ने उसका स्वागत किया। क्रांतिकारियों ने आशा व्यक्त की कि वह क्रांति की एकता को सही नेतृत्व प्रदान करेगा। 29 दिसंबर को क्रातिकारियों ने उसे अपना अध्यक्ष चुन लिया। 17 प्रांतों में से 16 प्रांतों के प्रतिनिधियों ने उसका समर्थन किया।1 जनवरी, 1912 को डॉ. सेन ने अध्यक्ष पद ग्रहण कर लिया।

गणतंत्र का निर्माण

इस प्रकार अब चीन में दो सरकारें कायम हो गयी एक नानकिंग की गणतांत्रित सरकार और दूसरी पीकिंग में मंचू सरकार। डॉ. सन-यात-सेन की क्रांतिकारी सरकार बन जाने से अब युआन-शीह-काई को राष्ट्रपति पद पर आसीन करने की बात समाप्त हो गयी। मंचू सरकार ने नानकिंग की सरकार को कुचलने का निश्चय किया।

किन्तु इसके लिये उसके पास शक्ति नहीं थी। डॉ.सेन ने यह अनुभव किया कि केन्द्रीय सरकार से अब युद्ध जारी रखना बेकार है, क्योंकि दोनों पक्ष काफी थक चुके थे तथा क्रांतिकारियों के पास धन, नेतृत्व और एकता का अभाव था। अतः दोनों सरकारों के मध्य समझौते की बातचीत आरंभ हुई।

क्रांतिकारी सरकार के नेताओं का कहना था कि चीन के नवनिर्माण के लिये मृतप्राय मंचू राजवंश का अंत होना आवश्यक है। युआन-शीह-काई ने इस बात को स्वीकार कर लिया और इसी आधार पर उसने 12 फरवरी, 1912 को डॉ. सेन के साथ एक समझौता कर लिया। तदनुसार चीन में मंचू राजवंश के शासन का अंत कर गणराज्य की स्थापना कर दी गयी। मंचू राजवंश के लिये राजप्रासाद छोङ दिया गया और उसके लिये वार्षिक पेंशन निश्चित कर दी गयी।

तत्पश्चात नई सरकार के गठन का कार्य युआन-शीह-काई के सुपुर्द कर दिया गया। डॉ.सेन ने राष्ट्रपति पद से अपना त्यागपत्र दे दिया तथा नानकिंग में एकत्र क्रांतिकारी नेताओं ने युआन-शीह-काई को चीनी गणराज्य का राष्ट्रपति निर्वाचित कर लिया।

इस प्रकार चीन में पिछले तीन सौ वर्षों से चला आ रहा मंचू राजवंश का अंत हो गया और चीन में गणराज्य की स्थापना हो गई। मंचू राजवंश का अंत सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण घटना थी। 20 वीं शता. में चीन एशिया का प्रथम देश था जहाँ गणतांत्रिक सरकार की स्थापना हुई थी। चीन के क्रांतिकारियों ने फ्रांस का अनुसरण करते हुये देश में राजसत्ता का सदा के लिये अंत कर दिया।

वस्तुतः चीन की यह क्रांति एक राजनीतिक क्रांति थी, जिसने सरकार के स्वरूप में परिवर्तन कर दिया। इसके अलावा इस क्रांति की कोई दूसरी उपलब्धि नहीं थी। इस क्रांति के फलस्वरूप जनता की आर्थिक स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं आया। युआन-शीह-काई के नेतृत्व में चीन में प्रतिक्रियावादी शासन का ही बोलबाला रहा। इस दृष्टि से 1911 की क्रांति को एक असफल क्रांति ही कहा जा सकता है।

1. पुस्तक- आधुनिक विश्व का इतिहास (1500-1945ई.), लेखक - कालूराम शर्मा

Online References
wikipedia : 1911 की क्रांति की घटनाएँ

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