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बगदाद पैक्टः(CENTO) सेन्टो समझौता क्या था

सेन्टो केन्द्रीय संधि संगठन है, जिसकी स्थापना 24 फरवरी 1955 में हुई।

सेन्टो की स्थापना ईरान, इराक, पाकिस्तान, तुर्की, यूनाइटेन किंगडम इन पाँच देशों ने मिलकर की थी।

सेन्टो को बगदाद संधि एवं मध्य पूर्व संधि(एमईटीओ) संगठन के नामों से भी जाना जाता है। इसको उत्तरी टायर के नाम से भी जाना जाता है।

सेन्टो एक प्रकार का अंतर सरकारी सैन्य संगठन है। जिसका मुख्यालय अंकारा में है।

1955 में इराक और तुर्की ने साम्यवाद के प्रभाव को रोकने के लिए सेन्टो संधि पर हस्ताक्षर किये। इनका उद्देश्य था मध्य पूर्वी भाग को साम्यवादी प्रभाव से दूर रखना।

संयुक्त राज्य अमेरिका ने सेन्टो संधि को वित्तीय सहायता दी थी। अमेरिका औपचारिक तौर पर कभी भी संधि में शामिल नहीं हुआ था।

अमेरिका समिति की बैठकों में भाग लेता था।

1959 में इराक ने बगदाद संधि से इस्तीफा दे दिया था। इसी समय से इस संधि का नाम बगदाद संधि से सेन्टो हो गया।

सेन्टो CENTO के सिद्धांत-

  • सभी सदस्य देश आपस में सुरक्षा, संरक्षण, सहयोग देंगे ।
  • गैर हस्तक्षेप नीति।
  • अरब देशों और सोवियत संघ के लिए चेतावनी।

अमेरिका ने दक्षिण पश्चिम एवं मध्य-पूर्व एशिया के देशों में सोवियत साम्यवादी प्रभाव को रोकने तथा अमरीकी प्रभाव का विस्तार करने के लिए उन्हें आर्थिक सहायता पहुँचाने, उनके साथ सैनिक संधियां करने तथा अरब राष्ट्रों में फूट डालने के लिए 1955 में बगदाद समझौता किया।

इस समझौते के तहत ब्रिटेन, ईरान, ईराक, तुर्की, पाकिस्तान, जार्डन आदि पश्चिमी एवं मध्य-पूर्व एशियाई देश पश्चिमी गुट में शामिल हो गये। किन्तु 1958 में इराक इस समझौते से अलग हो गया तो इसका नाम 1959 में बगदाद पैक्ट से बदलकर सेन्टो समझौता कर दिया गया।

सेन्टो के उद्देश्य-

  • सोवियत संघ को मध्य पूर्व से दूर रखना।
  • मध्य पूर्व में शांत रखना।
  • व्यापार वाणिज्य विकास।

सेन्टो के प्रभाव-

  • अमेरिका द्वारा शस्त्रों की मदद।
  • गुट निरपेक्ष आंदोलन का उदय।

सेंटो का अंत-

1979 में सेन्टो का अंत कर दिया गया।क्योंकि सेन्टो अपने उद्देश्यों में सफल नहीं हुआ।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

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