इतिहासप्राचीन भारतशाकंभरी का चौहान वंश

चौहान शासक गोविंदराज द्वितीय

चौहान शासक दुर्लभराज द्वितीय के बाद उसका पुत्र गोविंदराज द्वितीय राजा बना, जिसे वैरिधरट्ट अर्थात् शत्रुओं को नष्ट करने वाला कहा गया है।

प्रबंधकोश तथा मुस्लिम लेखक फरिश्ता के विवरण से पता चलता है, कि उसने सुल्तान महमूद गजनवी को पराजित किया था।

गोविंदराज द्वितीय के बाद उसका पुत्र वाक्पतिराज द्वितीय राजा बना। पृथ्वीराजविजय से पता चलता है, कि उसने आघाट के गुहिलवंशी शासक अंबा को पराजित किया। आघाट की पहचान उदयपुर के समीप स्थित अहाङ से की जाती है, जहाँ गुहिल राजवंश की राजधानी थी। उसका उत्तराधिकारी वीर्याराम हुआ, जिसे परमारवंशी भोज ने पराजित कर मार डाला। परमारों का कुछ समय के लिये शाकंभरी पर अधिकार हो गया। किन्तु वीर्याराम के भाई चामुण्डराज ने परमारों को पराजित कर अपनी राजधानी पर पुनः अधिकार कर लिया। उसके समय में उत्तरी-पश्चिमी भाग पर तुर्कों के आक्रमण प्रारंभ हो चुके थे।

प्रबंधकोश में चामुण्डराज को सुल्तान का हत्यारा कहा गया है। हम्मीर महाकाव्य से पता चलता है, कि उसने हेजीमुद्दीन नामक मुस्लिम शासक को हराकर मार डाला था। सुरजनचरित से भी इस बात का पता चलता है। चूंकि पंजाब का प्रदेश महमूद गजनवी के साम्राज्य का अंग था, ऐसा लगता है, कि उसके किसी उत्तराधिकारी के साथ चामुण्डराज का संघर्ष हुआ, जिसे उसने पराजित किया था।

References :
1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव 

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