इतिहासप्राचीन भारतशाकंभरी का चौहान वंश
चौहान शासक दुर्लभराज द्वितीय
चौहान शासक विग्रहराज द्वितीय के बाद उसका छोटा भाई दुर्लभराज द्वितीय राजा बना, क्योंकि विग्रहराज द्वितीय के कोई पुत्र नहीं था। लेखों में दुर्लभराज द्वितीय को दुर्लघ्यमेरु अर्थात् जिसकी आज्ञा का उल्लंघन न किया जा सके कहा गया है। किन्तु हम उसकी किसी भी उपलब्धि के बारें में ज्यादा नहीं जानते हैं।
उसके किंसरिया लेख से पता चलता है, कि उसने रसोशियन मंडल को अपने राज्य में मिलाया। इसकी पहचान हरियाणा के रोहतक क्षेत्र से की गयी है, जहाँ पहले तोमरवंश का अधिकार था। संभव है, कि इसी चाहमान शासक ने सुल्तान महमूद गजनवी का सामना करने के लिये आनंदपाल के नेतृत्व में बने हिन्दू राजाओं के संघ में भाग लिया था। किन्तु वे महमूद को नहीं रोक सके थे।
महमूद गजनवी के भारत पर किये गये 17 आक्रमण ।
References : 1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव
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