आईएफएस(IFS) ऑफिसर कैसे बने

किसी का सपना डॉक्टर बनने का होता है। तो किसी का पायलट और किसी स्टूडेंट का सपना अपने देश की सेवा करना होता है और वो आईएफएस (IFS)बनना चाहता है। हर स्टूडेंट को देश की सेवा करने का मौका नहीं मिलता है, जिस स्टूडेंट को देश की सेवा करने की मौका मिलता है उन स्टूडेंट के लिए बहुत ही गर्व की बात है। यह पोस्ट देश की तीसरी सबसे बड़ी पोस्ट होती है। इसकी परीक्षा यूपीएससी द्वारा आयोजित की जाती है।

13 सितम्बर 1783 को ईस्ट इंडिया कंपनी के निदेशक मंडल ने कलकत्ता (अब कोलकाता) के फोर्ट विलियम में एक ऐसा विभाग बनाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया जो वारेन हेस्टिंग्स प्रशासन पर इसके द्वारा “गोपनीय एवं राजनीतिक कारोबार” के संचालन में “दबाव को कम करने” में मदद कर सके। हालांकि इसकी स्थापना कंपनी द्वारा की गयी थी, फिर भी भारतीय विदेश विभाग  ने विदेशी यूरोपीय शक्तियों के साथ कारोबार किया। शुरुआत से ही विदेश विभाग के विदेशी और राजनीतिक  कार्यों के बीच एक अंतर बनाए रखा किया गया था; सभी “एशियाई शक्तियों” (स्वदेशी शाही रियासतों सहित) को राजनीतिक के रूप में माना गया था जबकि यूरोपीय शक्तियों के साथ संबंधों को विदेशी के रूप में समझा गया था।

आईएएस(IAS) ऑफिसर कैसे बनते है

भारतीय विदेश मन्त्रालय के कार्य को चलाने के लिए एक विशेष सेवा वर्ग का निर्माण किया गया है जिसे  भारतीय विदेश विभाग  (Indian Foreign Service I.F.S.) कहते हैं। यह भारत के पेशेवर राजनयिकों का एक निकाय है। यह सेवा भारत सरकार की केंद्रीय सेवाओं का हिस्सा है। भारत के विदेश सचिव भारतीय विदेश सेवा के प्रशासनिक प्रमुख होते हैं। आईएफएस ऑफिसर देश के अन्दर और बाहर दोनों जगह अपनी सर्विस देते है।

आईएफएस क्या होता है-

आईएफएस अधिकारी को ही डिप्लोमेट्स और एंबेसेडर(diplomats or ambassador) भी बोलते हैं। आईएफएस (IFS) आईपीएस(IPS) ऑफिसर की तरह हमारे देश की टॉप ऑफिस में से एक है। इनका काम देश के अंदर या देश के बाहर जहां पर भी उनकी पोस्टिंग हो वहां पर रह कर देश की विदेशी मामलों को हैंडल करना होता है। इसकी पोस्टिंग या तो मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल अफेयर यानी कि विदेश मंत्रालय में होती है या फिर दूसरे देशों में भारत के जो एंबेसीसिया दूतावास होते हैं वहां पर होती है। आईएफएस एक बहुत पावरफुल और जिम्मेदारी वाली पोस्ट होती है। इसमें सैलरी भी बहुत अच्छी मिलती है।

आईएफएस ऑफिसर की जिम्मेदारियाँ

 आईएफएस ऑफिसर को  एक अन्य नाम डिप्लोमेट है इनका मुख्य काम देश के बाहरी समस्याओं से संबंधित है तथा उन  नीतियों का निर्माण करना जो अन्य देशों के साथ भारत के संबंध को नियंत्रित करती है । एक आईएफएस ऑफिसर की पोस्टिंग विदेश मंत्रालय में होती है या फिर दूसरे देशों में भारत के जो एंबेसीसिया दूतावास होते हैं वहां पर होती है।

चयन प्रक्रिया

आईएएस(IAS) ऑफिसर कैसे बनते है

1948 में संघ लोक सेवा आयोग द्वारा संचालित संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा के तहत नियुक्त भारतीय विदेश सेवा के अधिकारियों के पहले समूह ने सेवा में योगदान दिया। इस परीक्षा को आज भी नए आईएफएस अधिकारियों के चयन के लिए इस्तेमाल किया जाता है। सिविल सेवा परीक्षा का प्रयोग कई भारतीय प्रशासनिक निकायों की भर्ती के लिए किया जाता है। इसके तीन चरण हैं – एक प्रारंभिक परीक्षा, एक मुख्य परीक्षा और एक साक्षात्कार – और इसे अत्यंत चुनौतीपूर्ण माना जाता है।

संपूर्ण चयन प्रक्रिया लगभग 12 महीनों तक चलती है। लगभग 400,000 प्रतिभागियों में से प्रति वर्ष लगभग 800 से 900 उम्मीदवारों का चयन अंतिम रूप से किया जाता है, लेकिन केवल एक अच्छी रैंक ही आईएफएस में चयन की गारंटी देती है – जिसकी स्वीकृति दर 0.01 फीसदी है।

प्रशिक्षण प्रक्रिया

विदेश सेवा के लिए स्वीकृति मिलाने पर नए सदस्यों को महत्वपूर्ण प्रशिक्षण से गुजरना पड़ता है। नए सदस्य एक परिवीक्षाधीन अवधि से गुजरते हैं (और इन्हें परिवीक्षार्थी (प्रोबेशनर) कहा जाता है)।प्रशिक्षण की शुरुआत मसूरी में स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी में होती है जहां कई विशिष्ट भारतीय सिविल सेवा संगठनों के सदस्यों को प्रशिक्षित किया जाता है। लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी का प्रशिक्षण पूरा करने के बाद परिवीक्षार्थी आगे प्रशिक्षण के साथ-साथ विभिन्न सरकारी निकायों के साथ संलग्न होने और भारत एवं विदेश में भ्रमण के लिए नई दिल्ली में स्थित विदेश सेवा संस्थान में दाखिला लेते हैं। संपूर्ण प्रशिक्षण कार्यक्रम 36 महीनों की अवधि का होता है।

प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन पर अधिकारी को अनिवार्य रूप से एक विदेशी भाषा (सीएफएल) सीखने का जिम्मा दिया जाता है। एक संक्षिप्त अवधि तक विदेशी मामलों के मंत्रालय से संलग्न रहने के बाद अधिकारी को विदेश में एक भारतीय राजनयिक मिशन पर नियुक्त किया जाता है जहां की स्थानीय भाषा सीएफएल हो। वहां अधिकारी भाषा का प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं और उनसे उनके सीएफएल में दक्षता प्राप्त करने और एक परीक्षा उत्तीर्ण करने की अपेक्षा की जाती है, उसके बाद ही उन्हें सेवा में बने रहने की अनुमति दी जाती है।

पोस्टिंग

एक आईएफएस ऑफिसर को विभिन्न पदों पर आसीन किया जाता है। इसमें दूतावास, वाणिज्य दूतावास और विदेश मंत्रालय सम्मलित है।

  • दूतावास में:
    • तृतीय सचिव (प्रवेश स्तर)
    • द्वितीय सचिव (सेवा में पुष्टि के बाद पदोन्नति)
    • प्रथम सचिव
    • सलाहकार
    • मंत्री
    • मिशन के उप-अध्यक्ष/ उप उच्चायुक्त/ उप स्थायी प्रतिनिधि
    • राजदूत/उच्चायुक्त/स्थायी प्रतिनिधि
  • वाणिज्य दूतावास में:
    • उप वाणिज्यदूत
    • वाणिज्यदूत
    • महावाणिज्यदूत
  • विदेश मंत्रालय में
    • अवर सचिव
    • उप सचिव
    • निदेशक
    • संयुक्त सचिव
    • अतिरिक्त सचिव
    • सचिव

नोट – आईएफएस ऑफिसर के लिए सलेब्स और परीक्षा पैटर्न यूपीएससी द्वारा तय किया जाता है। आईएएस, आईपीएस, आईएफएस और आईआरएस का सलेब्स एक समान ही होता है।

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