समकालीन यदभाव्यम् के सिद्धांत तथा अंग्रेजों के यूरोपीय व्यापार बंद होने के कारण से कंपनी के व्यापारिक अधिकार को समाप्त करने के लिए 1813 का चार्टर एक्ट लाया गया।
इसलिए 1813 के चार्टर एक्ट के द्वारा कंपनी के भारतीय व्यापार के एकाधिकार को समाप्त कर दिया गया।
यद्यपि कंपनी का चीनी तथा चाय के व्यापार का एकाधिकार चलता रहा।
प्रथम बार अंग्रेजों की भारत पर संवैधानिक स्थिति स्पष्ट की गयी थी।
1813 के चार्टर के द्वारा नियंत्रण बोर्ड की अधीक्षण तथा नियंत्रण शक्ति को न केवल परिभाषित किया गया, अपितु उसका विस्तार भी किया गया।
इस एक्ट द्वारा एक लाख रुपया प्रतिवर्ष विद्वान भारतीयों के प्रोत्साहन तथा साहित्य के सुधार तथा पुनरुत्थान के लिए रखा गया।
यह भारत संबंधी अंग्रेजी घोषणा में अपना एक अलग महत्त्व रखता है।
Reference : https://www.indiaolddays.com/